मंदिर का निर्माण- राजा नरवर साय की नगरी नवागढ़ में 300 वर्ष पहले का श्री राम मंदिर एवं 100 वर्ष पहले का श्री कृष्ण मंदिर साथ में है। बताया जाता है कि दीवान परिवार (गुप्ता) द्वारा संवत 1606 में यहां मंदिर का निर्माण कराया गया था, जो कवर्धा राजा के दीवान व नवागढ़ से 8 किमी दूर ग्राम हांथाडाडू के रहने वाले थे। हांथाडाडु के दीवान (गुप्ता) परिवार द्वारा पूजा देख-रेख के लिए वैष्णवों को सौंप दिया गया । यह मंदिर समेसर के महंत परिवार के अधिनस्थ है। इस मंदिर में स्थापना से अभी तक प्रतिदिन सुबह-शाम शंख एवं घंटे की धुन के साथ पूजा आरती की जाती है।
श्री राम-कृष्ण मंदिर |
एक ही दृश्य में राम, कृष्णा, शिव, आचार्य पादुका व महंत पादुका मंदिर |
विशेष पर्व - वही वर्ष में 5 बार गुरू पूर्णिमा, श्री कृष्ण जन्माष्ठमी, दशहरा, गोवर्धनपूजा तथा रामनवमी के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रम होते है । इस पर्व पर श्रीराम कृष्ण की मूर्तियों का श्रृंगार किया जाता है और भंडारे की व्यवस्था की जाती है, सैकड़ो नागरिक दर्शन करने मंदिर पहुंचते है ।
कृष्ण मंदिर बना राम मंदिर- यहाँ पहले श्री राधा कृष्ण की मूर्ति स्थापित होनी थी। राम जी की मूर्ति बिकने गाड़ी भैंसा से नवागढ़ लाया गया था, तो मूर्ति खरीदने के लिए विक्रेता से सौदा नहीं पटने पर विक्रेता कही दूसरी जगह मूर्ति बेचने जा रहे थे, तो मूर्तियां इतनी भरी हो गयी की 2-3 गाड़़ा टूट गया, पर गाड़ा नही बढ़ा, फिर मूर्ति को पुराने भाव पर जिस पर बात नही बन रही थी,विक्रेता दे गया, जिसे गुप्ता परिवार लेकर मंदिर में पधराये ।
राम मंदिर का गर्भगृह |
बाद में बगल के कृष्ण मंदिर का निर्माण तृतीय महंत बंसी दास जी द्वारा सन 1911 (संवत 1968) में कराया गया, जिसकी लागत उस समय 25 हजार रुपए आयी थी।{2}
श्री राधा कृष्ण |
श्री कृष्णा जी की मूर्ति काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी है तथा श्री राम जानकी ,लक्ष्मण व राधा जी सहित अन्य मूर्तियां लोगो को संगमरमर से बनी हुई प्रतीत होती है , पर यह सफ़ेद ग्रेनाइट पत्थर से बनी है ।{1}
गर्भगृह- राम मंदिर के गर्भगृह में श्रीराम के साथ पश्चिम दिशा में राधा- कृष्ण जी की मूर्ति स्थापित है, राम जी के सामने पूर्व में गरुड़जी व पश्चिम में हनुमान जी की मूर्ति है। श्री राधाकृष्ण मंदिर के परिसर में नरसिंह, परशुराम, गरुड़ जी ,हनुमान जी, वाराह एवं जय विजय की मूर्ति भी स्थापित है।
राम मंदिर, कृष्ण मंदिर एवं शिव मंदिर के चौखट पत्थर से निर्मित हैं । {1} श्री राधाकृष्ण मंदिर की चौखट में शिवलाल कारीगर का नाम अंकित है। इस मंदिर का चौखट पत्थर का बना हुआ है ।
पत्त्थर से बना श्री कृष्ण मंदिर का चौखट |
चौखट जिसमे शिवलाल कारीगर का नाम लिखा है |
तैरता पत्थर- सन 2008 में मंदिर के महंत श्री मधुबन दास जी के द्वारा रामेश्वरम के निकट धनुष कोटि नमक स्थान से राम सेतु का पत्थर लाया गया था, जो इस कुंड में रखा हुआ है।
राम सेतु से लाया तैरता पत्थर |
चरण पादुका - श्रीराम कृष्ण मंदिर की परिक्रमा करने पर मंदिर के पूर्व दिशा के उत्तर मुख में चारो आचार्य रामानंदाचार्य, निम्बारकाचार्य, माधवाचार्य, वल्लभाचार्य की चरण पादुका रखी है ।
चरण पादुका मंदिर |
चरण पादुका |
चरण पादुका |
तो पूर्व दिशा में प्रथम महंत कांशीदास, द्वितीय महंत प्रयागदास की चरण पादुका रखी है ।
महंतो की चरण पादुकाए |
धुनी- नवागढ़ के श्री राम कृष्ण मंदिर में धुनी का स्थल है , जहां प्रतिदिन धुनी जलार्इ जाती है । मंदिर में संतों के बैठने के लिए मकान है,धुनी की जगह अलग है, दक्षिण में मवेशी-कोठा व बाड़ी में कुआं है।
श्री राम जी के सम्मुख जो हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है वह राम मंदिर के समकालीन है।
श्री राम मंदिर के सम्मुख स्थित हनुमान जी |
मुर्तिया- श्री कृष्ण मंदिर के पूर्व दक्षिण कोर के उपरी भाग में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित है । तो पूर्व में श्री गणेश, माता पार्वती, कार्तिक, शेषनाग, शिवलिंग के साथ स्थापित है । बाहर से नंदी विराजमान है । श्रीराम कृष्ण मंदिर के चारों दिशाओं के उपरी भाग में कोणार्क, खजूराहो, भोरमदेव के मंदिरों की तरह के चित्र अंकित है। श्री राम मंदिर के चारो दिशाओ ंमें दूसरे भाग में धरम दरवाजा बने है ।
मंदिर के बाड़ी में एक प्राचीन कुआ है
शिव जी,बलभद्र, नागदेव, पार्वती जी व गणेश जी
मंदिर के बाड़ी में स्थित कुआँ |
मंदिर के महंत मधुबन दास वैष्णव जी के अनुसार मंदिर के पट बंद होने पर धरम दरवाजा के दर्शन से गर्भगृह स्थित भगवान के दर्शन का पुण्य मिलता है ।
आज से लगभग 50 वर्ष पूर्व मंदिर में संस्कृत विद्यालय का सञ्चालन किया जाता था, जो लगभघग 4-5 वर्षो तक चला ।{1}
महंत- इस मंदिर की देख-रेख समेसर के महंत परिवार द्वारा किया जा रहा है । जिसके प्रथम महंत कांशीदास, द्वितीय प्रयागदास, तृतीय बंशीदास, चतुर्थ बलभद्र प्रसाद, पंचम बृजभूषण दास तथा वर्तमान महंत मधुबन दास है ।
पुजारी अनुरागी दास जी - जो बचपन से मंदिर में पूजा करते थे, उनका उम्र 90 वर्ष का हो चुका था, फिर उनका स्वर्गवास हो गया।
श्री राम मानस यज्ञ स्थली |
स्रोत:
{1}मधुबन दास जी
{2}रामनाथ ध्रुव जी
{3}अजय अरोरा जी