अविभाजित छत्तीसगढ़ के प्रथम महिला सांसद एवं और सतनामी समाज के गुरुमाता ममतामयी करुणा के सागर जगतजननी माँ मिनीमाता जी के 45वीं पुण्यतिथि नवागढ़ नगरपंचायत प्रांगण में आज बड़े धूम-धाम से मनाई जाएगी, जिसकी सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं।
संक्षिप्त परिचय
नाम - मीनाक्षी ( मिनीमाता )
पिता का नाम - महंत बुढ़ारी दास
माता का नाम - देवमती बाई
जन्म तिथि - १५ मार्च १९१३
पति का नाम - गुरु गोसाई अगम दkस , संkसद एवं स्वत्रन्त्रता सेनानी |
राजनीती - सन 1953 में उपचुनाव में सांसद बनी |
सन १९५७ में दूसरी बार सांसद बनी |
सन 1962 में लोकसभा में तीसरी बार सांसद बनी |
सन १९६७ में लोकसभा में चौथी बार सांसद बनी |
कार्य - सन १९५५ में छुआछूत निवारण कानून पास कराया
हसदो महानदी परियोजना १९६७ - ७६
भिलाई इस्पात सयंत्र स्थापना १९६१
छत्तीसगढ़ मजदूर संघ की स्थापना १९६७
दहेज़ निवारण कानून १९६१
छत्तीसगढ़ कल्याण समिति गठन
छत्तीसगढ़ कल्याण महाविद्यालय भिलाई
मिनीमाता बोंगो बांध निर्माण प्रस्ताव पूर्ण १९८१
बालको एल्युमीनियम प्लांट बैलाडीला कोरबा बचेली किरंदुल के विस्तार हेतु प्रस्ताव
मृत्यु - विमान दुर्घटना ११ अगस्त १९७२
जीवनी
मिनीमाता का जन्म सन् 1913 में असम के नुवागांव जिले के ग्राम जमुनामुख में हुआ था । आपकी माता का नाम मतीबाई था । आपका परिवार मूलतः बिलासपुर जिला निवासी था । 1901 से 1910 के बीच छत्तीसगढ़ के भीषण अकाल ने अधिकांश गरीब परिवारों को जीविका की तलाश में प्रदेश के बाहर जाने के लिए मजबर कर दिया । आपके नाना-नानी भी असम के चाय बगानों में काम के लिए रेलगाड़ी द्वारा बिलासपुर से जोरहट गए । इस दौरान उनकी तीन पुत्रियों में से दो की मौत हो गई । एक बेटी, आपकी मां ही जीवित रहीं ।
आपके बाल्यकाल तक परिवार व्यवस्थित हो चुका था । आपका वास्तविक नाम मीनाक्षी था । आपने स्कूली शिक्षा असम में प्राप्त की । आपको असमिया, अंग्रेजी, बांगला, हिन्दी तथा छत्तीसगढी का ज्ञान था । आपके जीवन में नया मोड़ उस समय आया जब सतनामी समाज के गुरु अगमदास धर्म प्रचार के सिलसिले में असम गए और बाद में आपको जीवन संगिनी के रुप में चुना ।
अपने समाज की गरीबी, अशिक्षा तथा पिछड़ापन दूर करने के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया । 1952 से 1972 तक आपने लोकसभा में सारंगढ़, जांजगीर तथा महासमुंद क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया । मजदूर हितों और नारी शिक्षा के प्रति भी जागरुक और सहयोगी रहीं । बाल-विवाह और दहेज प्रथा को दूर करने के लिए समाज से संसद तक आपने आवाज उठाई । छत्तीसगढ़ में कृषि तथा सिंचाई के लिए हसदेव बांध परियोजना आपकी दूर-दृष्टि का परिचायक है । भिलाई इस्पात संयंत्र में स्थानीय निवासियों को रोजगार और औद्योगिक प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया ।
आप सद्भावना और ममता की मूर्ति, कुशल गृहिणी, सजग सांसद, कर्मठ समाज सेविका और सच्चे अर्थों में छत्तीसगढ़ की स्वप्नदृष्टा थी । 11 अगस्त 1972 को भोपाल से दिल्ली जाते हुए पालम हवाई अड्डे के पास विमान दुर्घटना में आपका निधन हो गया । छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में महिला उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए मिनी माता सम्मान स्थापित किया है ।
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