14 May 2017

घरों में सजावट के लिए सुन्दर और कभी न मुरझाने वाले ड्राई फ्लावर्स बनाने की कला

15 मई तक चलने वाले आकार कार्यशाला में ड्राई फ्लावर्स बनाने की कला सिखाने के लिए पूर्णाक्षी साहू जी व मिथलेश्वरी साहू जी का कलागुरु के रूप में आगमन हुआ है।

पूर्णाक्षी जी विगत तीन वर्षों में आकर कार्यशाला कुरुद में प्रशिक्षण दे चुकी हैं। ड्राई फ्लावर्स के अलावा ये क्ले आर्ट, पेपर मेशी, कैली ग्राफी में भी एक्सपर्ट हैं व इसकी ट्रेनिंग भी देती हैं।

फ़ूल देखने में तो बेहद ही सुंदर लगते है, साथ ही कभी मुरझाते नहीं है। ड्राई फ्लावर बनाने के लिए जुट साकीट, पेपर नेपकेल, साटन क्लॉथ, होम सीट, पुराना पेपर, कपास का फूल, भुट्टे के छिलके, गुलमोहर पत्ते के बीज, धतूरे का फूल, चिनार, अरगठी के कपड़े, पीपल के पत्ते, डेलवा का फल, सारकस का पत्ता की आवश्यकता पड़ती है।

इस कला में कपड़े को काटने और मोड़ने से लेकर विभिन्न वस्तुओं को उपयोग में लाए जाने लायक बना कर, उपयोग में लाया जाना सिखाया जाता है।



















जानिए कैसे बनाया जाता है, थर्माकोल से आकार में मनचाहा मॉडल

अनूप पुजारी जी व मनीष यादव जी रायपुर से है, तथा ये अंबिकापुर, जगदलपुर, कुरुद और रायपुर में भी संस्कृति विभाग छ. ग. की और से प्रशिक्षण दे चुके हैं।

थर्माकोल से मनचाही डिजाईन व आकृतियां बनाई जा सकती है और इसके लिए सामग्री जैसे- थर्माकोल, फेविकोल, ब्लेड, फैब्रिक कलर, स्टेंसिल, सैंड पेपर, डबल साइडेड टेप, अभ्रक, वाटर कलर आसानी से बाजार में उपलब्ध होती है।

थर्माकोल से डिजाईन बनाने की कला बहुत ही आसान है-
1. सबसे पहले थर्माकोल पर हाथ से डिजाईन बनाया जाता है या स्टेंसिल को थर्माकोल पर रखकर कटा जाता है।
2. सैंड पेपर से किनारों को curved shape दिया जाता है।
3. फिर वाटर कलर और फैब्रिक कलर लगाया जाता है।
4. चमक के लिए फेविकोल लगाकर उस पर अभ्रक लगाया जाता है।
5. आप इस पर stone लगाकर और सुन्दर बना सकते हैं।
























13 May 2017

जानिए आकार में कैसे बनाई जाती है, धान से ज्वैलरिया

धान से ज्वैलरी बनाने की कला सिखाने विद्या मार्को जी व पार्वती टेकाम जी का कलागुरु रूप में आकार शिविर में नवागढ़ में आगमन हुआ है, ये बिलासपुर से हैं। 

छ. ग. हस्तकला शिल्प विभाग से ये रजिस्टर्ड हैं। दिल्ली प्रगति मैदान की कला आकृति की प्रदर्शनी में इन्होंने भाग लिया था। पहले भी बिलासपुर, रायपुर एवं अन्य जगहों पर आकार शिविर में ये प्रशिक्षण दे चुकी हैं तथा हस्तकला शिल्प विभाग को आर्डर से जवैलरी दिया जाता है।




धान से ज्वैलरी बनाने की प्रक्रिया-
1. पहले HMT धान को एसिड में डालकर उबाला जाता है।

2. उबलने के बाद सूखा दिया जाता है, जब तक यह सफ़ेद न हो जाए, इसका उपयोग ज्वैलरी बनाने में किया जाता है।

3. ज्वैलरी बनाने के लिए ज्वैलरी के आकार का कड़ा पुट्ठा काटा जाता है, जिस पर सामान साइज के धान को पसंद के अनुसार जमाया जाता है।

4. बैच बनाने के लिए पहले बड़ा गोलाकार आकृति बनाई जाती है, उस पर धान को जमाया जाता है, जब जगह पूरी तरह से भर जाती है, तो तो उस पर रंग चढ़ाया जाता है।

5. सूखने के बाद सभी को साइज के हिसाब से चिपकाया जाता है, फिर रिबन, पिन और बकरम को चिपकाया जाता है।









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