15 मई तक चलने वाले आकार कार्यशाला में ड्राई फ्लावर्स बनाने की कला सिखाने के लिए पूर्णाक्षी साहू जी व मिथलेश्वरी साहू जी का कलागुरु के रूप में आगमन हुआ है।
पूर्णाक्षी जी विगत तीन वर्षों में आकर कार्यशाला कुरुद में प्रशिक्षण दे चुकी हैं। ड्राई फ्लावर्स के अलावा ये क्ले आर्ट, पेपर मेशी, कैली ग्राफी में भी एक्सपर्ट हैं व इसकी ट्रेनिंग भी देती हैं।
फ़ूल देखने में तो बेहद ही सुंदर लगते है, साथ ही कभी मुरझाते नहीं है। ड्राई फ्लावर बनाने के लिए जुट साकीट, पेपर नेपकेल, साटन क्लॉथ, होम सीट, पुराना पेपर, कपास का फूल, भुट्टे के छिलके, गुलमोहर पत्ते के बीज, धतूरे का फूल, चिनार, अरगठी के कपड़े, पीपल के पत्ते, डेलवा का फल, सारकस का पत्ता की आवश्यकता पड़ती है।