नूतन संवत्सर उदित, उदित हुआ नव वर्ष ।
कण-कण रज-रज में भरे, नूतन-नूतन हर्ष ।।
नूतन नूतन हर्ष, शांति अरु समता लावे ।
विश्व बंधुत्व भाव, जगत भर में फैलावे ।।
नष्ट करें उन्माद, आज मिश्रित जो चिंतन ।
जागृत हो संकल्प, गढ़े जो भारत नूतन ।।
-रमेश चौहान