शिक्षित होकर देश में, लायेंगे बदलाव ।
जाति धर्म को तोड़ कर, समरसता फैलाव ।।
समरसता फैलाव, लोग देखे थे सपने ।
ऊँच-नीच को छोड़, लोग होंगे सब अपने ।।
खेद खेद अरू खेद, हुआ ना कुछ आपेक्षित ।
कट्टरता का खेल, खेलते दिखते शिक्षित ।।
जाति धर्म को तोड़ कर, समरसता फैलाव ।।
समरसता फैलाव, लोग देखे थे सपने ।
ऊँच-नीच को छोड़, लोग होंगे सब अपने ।।
खेद खेद अरू खेद, हुआ ना कुछ आपेक्षित ।
कट्टरता का खेल, खेलते दिखते शिक्षित ।।