16 August 2017

पानी पानी अब चिहरत हस

नदिया छेके नरवा छेके, छेके हस गउठान ।
पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान ।।

डहर गली अउ परिया छेके, छेके सड़क कछार ।
कुँवा बावली तरिया पाटे, पाटे नरवा पार ।।
ऊँचा-ऊँचा महल बना के, मारत हवस षान ।
पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान ।।

रूखवा काटे जंगल काटे, काटे हवस पहाड़ ।
अपन सुवारथ सब काम करे, धरती करे कबाड़ ।।
बारी-बखरी धनहा बेचे, खोले हवस दुकान ।
पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान ।।

गिट्टी पथरा अँगना रोपे, रोपे हस टाइल्स ।
धरती के पानी ला रोके, मारत हस स्टाइल्स ।।
बोर खने हस बड़का-बड़का, पाबो कहिके मान ।
पानी पानी अब चिहरत हस, सुनय कहां भगवान ।।
-रमेश चौहान
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