//हे जीवन दानी, दे दे पानी//
(चवपैया छंद)
हे करिया बादर, बिसरे काबर, तै बरसे बर पानी ।
करे दुवा भेदी, घटा सफेदी, होके जीवन दानी ।।
कहूं हवय पूरा, पटके धूरा, इहां परे पटपर हे ।
तरसत हे प्राणी, मांगत पानी, कहां इहां नटवर हे ।।
हे जीवन दानी, दे-दे पानी, अब हम जीबो कइसे ।
धरती के छाती, खेती-पाती, तरसे मछरी जइसे ।।
पीये बर पानी, आँखी कानी, खोजय चारो कोती ।
बोर कुँआ तरिया, होगे परिया, कहां बूंद भर मोती ।।
(चवपैया छंद)
हे करिया बादर, बिसरे काबर, तै बरसे बर पानी ।
करे दुवा भेदी, घटा सफेदी, होके जीवन दानी ।।
कहूं हवय पूरा, पटके धूरा, इहां परे पटपर हे ।
तरसत हे प्राणी, मांगत पानी, कहां इहां नटवर हे ।।
हे जीवन दानी, दे-दे पानी, अब हम जीबो कइसे ।
धरती के छाती, खेती-पाती, तरसे मछरी जइसे ।।
पीये बर पानी, आँखी कानी, खोजय चारो कोती ।
बोर कुँआ तरिया, होगे परिया, कहां बूंद भर मोती ।।