16 March 2017

बुढ़ेश्वर महादेव व नवागढ़ के सारे शिव मंदिरो का इतिहास

बुढ़ेश्वर महादेव 

कहानी: पुराने समय की बात है, एक किसान का गाय रोज एक अनजाने स्थान पर जाती और  उसके थन से दूध की धार निकलती, वह शिवजी के ऊपर गिरती और नाग नागिन दूध पीते थे, यह गाय का रोज का नियम था। एक दिन किसान ने गाय के पीछे जाकर देखा तथा पूरा हाल राजा को कह सुनाया, तब राजा ने पंडितों से पूजा पाठ कर जगह की  सफाई करवाई और छोटा सा मंदिर शिव जी के लिए बनवाया, साथ ही वहीं पर मंदिर के बाहर में नाग-नागिन की भी मूर्ति बनवाकर स्थापित किया।

बुढ़ेश्वर महादेव स्वयंभू है इसलिए इन्हें छत्तीसगढ़ी में ''भुर्इफोड़ महादेव'' के भी नाम से जाना जाता है।

मांगनबंद तालाब के किनारे स्थित राजा द्वारा निर्मित उस पुराने मंदिर के जीर्ण हो जाने पर वहाँ दूसरा मंदिर बनाया गया है। 

जीर्णोद्धार- कालान्तर में जीर्णोद्धार का कार्य श्री सोनराज जैन व श्रीमती गंगाबार्इ दुबे द्वारा कराया गया।

यहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के पर्व पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।

मंदिर परिसर में महादेव के दाहिनी ओर एक छोटा सा मंदिर बनाया गया है, जिसमे श्री गणेश जी विराजे है


साथ ही मंदिर की बाई ओर जहाँ नाग देव की मूर्ति स्थापित है उसके समीप हनुमान जी का छोटा सा चबूतरा  बनवाया गया है
नया तालाब में शिव मंदिर
श्री बैजनाथ मालवीय  द्वारा नया तालाब खुदाया गया तथा उसके पार में शिव मंदिर का निर्माण कराया गया, उसमें जमीन भी चढ़ा था, मरम्मत सन 1848 में किया गया।
नया तालाब के किनारे  हनुमान जी का छोटा सा मंदिर रामचंद ध्रुव जी ने बनवाया है।

 

 
श्री साहड़ा  देव 
यादव समाज के द्वारा शासन से ₹10,000 लेकर और चंदा कर साहड़ा देव का चबूतरा 31/12/2003 में निर्माण करवाया गया, इसमें शंकर जी की मूर्ति है और पुजारी राम प्रसाद यादव हैं।

दो मंजिला शिव जी व हनुमान जी मंदिर (बिजली आफिस)
2010 में बिजली ऑफिस में मंदिर बनवाया गया है, जिसमें स्टाफ वालों ने मूर्ति रखा है। नीचे मंदिर में शिव पंचायत तथा ऊपर में पंचमुखी हनुमान जी, श्री राम जानकी लक्ष्मण जी की मूर्ति स्थापना दिनांक 13/07/2010 आषाढ शुक्ल द्वितीया को प्राण प्रतिष्ठा 
शुकुल पारा वाले पंडित नंद कुमार घर दीवान जी द्वारा किया गया।


मानाबंद के दक्षिणी किनारे स्थित शिव मंदिर 
मानाबंद के दक्षिणी किनारे स्थित शिव मंदिर मालवीय परिवार अर्थात लालता प्रसाद तिवारी जी के पूर्वजो के द्वारा मंदिर बनवाया गया है। मंदिर में 11 एकड़ जमीन बरबसपुर में चढ़ा है।
मंदिर के सरवरकार- श्री देवेंद्र धार दिवान
पुजारी- श्री राम खेलावन उर्फ़ शिव कुमार दुबे


पास में शिव जी, साई बाबा, नागदेव का छोटा मंदिर श्री ओंकार प्रसाद पिता कवल सिंह ताम्रकार द्वारा बनाया गया है।




जुड़ावनबंद तालाब के दक्षिण में स्थित शिव मंदिर 
जुड़ावनबंद तालाब के दक्षिण में श्री लक्ष्मी नारायण मंदिरके पास शंकर जी का चबूतरा है।

जुड़ावन बंद तालाब के किनारे शिव जी की मूर्ति एवं हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है।


शारदा मंदिर के पूर्व में स्थित शिवमंदिर
शारदा मंदिर के पूर्व में शिव मंदिर का निर्माण समाज द्वारा सन 1992 में कराया गया ।




 बावली के पास स्थित शिव मंदिर
बावली के पास भैयालाल दुबे द्वारा मंदिर बनवाया गया है, पैसा रामचरण कलार द्वारा दिया गया था।



साहड़ा देव- दर्री पारा
गौठान में पुन्नी साहू गनिया वाले द्वारा सन 2009 में निर्माण हुआ। दिनांक 31/10/2009 को शिव पंचायत एवं नंदी का प्राण प्रतिष्ठा आचार्य पंडित सुरेंद्र प्रसाद शर्मा द्वारा किया गया।

श्री गणेश जी मंदिर सभामंडप 
सभामंडप में शिव पंचायत, राधा कृष्ण और राम जानकी लखन जी और हनुमान जी का मूर्ति स्थापित किया गया है।


श्री राम मंदिर स्थित शिव मंदिर 
श्री रामजानकी मंदिर के पूर्व में शिव पार्वती, कार्तिक,गणेश,हनुमान जी  एवं शेष नाँग की मुर्तिया स्थापित है।


सुरकी तालाब के पश्चिम पार में 
सुरकी तालाब के पश्चिम किनारे में समारू डड़सेना द्वारा शंकर जी का  एक छोटा सा मंदिर बनवाया गया है, जिसकी सन 2014 में निर्माण व प्रतिष्ठा वर्ष 2015 में, दिन शनिवार को पंडित सुरेश के द्वारा कराई गयी ।

दाऊबंद के पार 
दाऊबंद के किनारे में शिव पार्वती,गणेश,नंदी की मुर्तिया स्थापित है।



स्रोत- 
रामनाथ ध्रुव जी 
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