एस सी एस टी,
ओबीसी, जनरल,
मानवता पर,
हावी हो रहा है,
जातिवाद के गर्त में,
"भारतीय"
लुप्त हो रहा है।
अलगाववाद का जहर,
एकता की नसों में,
इस कदर
घुल गया है,
ऊंच-नीच भेद-भाव में,
आदमी जीना
भूल गया है,
कब कौन मर जाए,
सिर्फ ईश्वर जानता है,
फिर भी
मूर्ख आदमी,
खुद को,
भगवान मानता है,
न तू रहेगा, न तेरी हस्ती,
फिर कैसा अहंकार है
बड़े-बड़े लोग मिट गए,
जिंदा सिर्फ संसार है।
मरने से पहले,
अपने दुर्व्यवहार पर,
कस ले शिकंजा,
भेद-भाव,
लड़ाई-झगड़ा छोड़,
आदमी बन जा।
29 March 2018
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