04 November 2017

काठी के नेवता

काठी के नेवता

कोने जानय जिंनगी, जाही कतका दूर तक ।
बेरा उत्ते बुड़ जही, के ये जाही नूर तक ।।

टुकना तोपत ले जिये, कोनो कोनो ठोकरी ।
मोला आये ना समझ, कइसे मरगे छोकरी ।।

अभी अभी तो जेन हा, करत रहिस हे बात गा ।
हाथ करेजा मा धरे, सुते लमाये लात गा ।।

रेंगत रेंगत छूट गे, डहर म ओखर प्राण गा ।
सजे धजे मटकत रहिस, मारत ओहर शान गा ।।

देख देख ये बात ला, मैं हा सोचॅव बात गा ।
मोर मौत पक्का हवय, जिनगी के सौगात गा ।

मोला जब मरने हवय, मरहूॅ मैं हा शान ले ।
जइसे मैं जीयत हॅवव, तुहर मया के मान ले ।।

भेजत हवॅव मैं हा अपन, अब काठी के नेवता ।
दिन बादर ला जान के, आहू बनके देवता ।।

अपने काठी के खबर, मैं हा आज पठोत हंव।
जरहूं सब ला देख के , सपना अपन सजोत हंव ।।

Previous Page Next Page Home

हर ताज़ा अपडेट पाने के लिए नवागढ़ के Facebook पेज को लाइक करें

Random Post

मुख्य पृष्ठ

home Smachar Ayojan

नवागढ़ विशेष

history visiting place interesting info
poet school smiti
Najdiki suvidhae Najdiki Bus time table Bemetara Police

ऑनलाइन सेवाएं

comp online services comp

Blog Archive