काठी के नेवता
कोने जानय जिंनगी, जाही कतका दूर तक ।
बेरा उत्ते बुड़ जही, के ये जाही नूर तक ।।
टुकना तोपत ले जिये, कोनो कोनो ठोकरी ।
मोला आये ना समझ, कइसे मरगे छोकरी ।।
अभी अभी तो जेन हा, करत रहिस हे बात गा ।
हाथ करेजा मा धरे, सुते लमाये लात गा ।।
रेंगत रेंगत छूट गे, डहर म ओखर प्राण गा ।
सजे धजे मटकत रहिस, मारत ओहर शान गा ।।
देख देख ये बात ला, मैं हा सोचॅव बात गा ।
मोर मौत पक्का हवय, जिनगी के सौगात गा ।
मोला जब मरने हवय, मरहूॅ मैं हा शान ले ।
जइसे मैं जीयत हॅवव, तुहर मया के मान ले ।।
भेजत हवॅव मैं हा अपन, अब काठी के नेवता ।
दिन बादर ला जान के, आहू बनके देवता ।।
अपने काठी के खबर, मैं हा आज पठोत हंव।
जरहूं सब ला देख के , सपना अपन सजोत हंव ।।
कोने जानय जिंनगी, जाही कतका दूर तक ।
बेरा उत्ते बुड़ जही, के ये जाही नूर तक ।।
टुकना तोपत ले जिये, कोनो कोनो ठोकरी ।
मोला आये ना समझ, कइसे मरगे छोकरी ।।
अभी अभी तो जेन हा, करत रहिस हे बात गा ।
हाथ करेजा मा धरे, सुते लमाये लात गा ।।
रेंगत रेंगत छूट गे, डहर म ओखर प्राण गा ।
सजे धजे मटकत रहिस, मारत ओहर शान गा ।।
देख देख ये बात ला, मैं हा सोचॅव बात गा ।
मोर मौत पक्का हवय, जिनगी के सौगात गा ।
मोला जब मरने हवय, मरहूॅ मैं हा शान ले ।
जइसे मैं जीयत हॅवव, तुहर मया के मान ले ।।
भेजत हवॅव मैं हा अपन, अब काठी के नेवता ।
दिन बादर ला जान के, आहू बनके देवता ।।
अपने काठी के खबर, मैं हा आज पठोत हंव।
जरहूं सब ला देख के , सपना अपन सजोत हंव ।।