Ramesh kumar chauhan
घोठा के धुर्रा माटी मा, जनमे पले बढ़े हेनवागढ़ के फुतकी, चुपरे हे नाम मा ।हास्य व्यंग के तीर ला, आखर-आखर बांधआघू हवे अघुवाई, संचालन काम मा ।धीर-वीर गंभीर हो, गोठ-बात पोठ करे
रद्दा-रद्दा आँखी गाड़े, कविता के खोज मा ।
घोठा अउ नवागढ़, बड़ इतरावत हे
श्यामबिहारी के टूरा, देहाती मनोज मा ।।
-रमेश चौहान