घनाक्षरी
कहाँ ले पाथे आतंकी, बैरी नकसली मन
पेट भर भात अउ, हथियार हाथ मा ।
येमन तो मोहरा ये, असली बैरी होही हे
जेन ह पइसा देके, खड़े हवे साथ मा ।।
कोन धनवान अउ, कोन विदवान हवे
पोषत हे जेन बैरी, अपनेच देश के ।
खोज खोज के मारव, मुँहलुकना मन ला
येही असली बैरी हे, हमरेच देश के ।।
कहाँ ले पाथे आतंकी, बैरी नकसली मन
पेट भर भात अउ, हथियार हाथ मा ।
येमन तो मोहरा ये, असली बैरी होही हे
जेन ह पइसा देके, खड़े हवे साथ मा ।।
कोन धनवान अउ, कोन विदवान हवे
पोषत हे जेन बैरी, अपनेच देश के ।
खोज खोज के मारव, मुँहलुकना मन ला
येही असली बैरी हे, हमरेच देश के ।।