चौबोला छंद
हमर धरम तो बस एक हे । देश-भक्ति हा बड़ नेक हे
जनम-भूमि जन्नत ले बड़े । जेखर बर बलिदानी खड़े
मरना ले जीना हे बड़े । जीये बर जीवन हे पड़े
छोड़ गोठ तैं अधिकार के । अपन करम कर तैं झार के
अपने हिस्सा के काम ला । अपने हिस्सा के दाम ला
करना हे अपने हाथ ले । भरना हे अपने हाथ ले
बइमानी भ्रष्टाचार के। झूठ-मूठ के व्यवहार के
जात-पात के सब ढाल ला । तोड़व ये अरझे जाल ला
देश बड़े हे के प्रांत हो । सोचव संगी थोकिन शांत हो
दश्ष गढ़े बर सब हाथ दौ । आघू रेंगे बर सब साथ दौ
मनखे-मनखे एके मान के । सबला तैं अपने जान के
मया-प्रेम मा तैं बांध ले । ओखर पीरा अपने खांध ले
दश्ष मोर हे ये मान ले । जीवन येखर बर ठान ले
अपने माने मा तो तोर हे । नही त तोरे मन मा चोर हे
- रमेश चौहान