अपने घर मा खोजत हावे, कोनो एक ठिकाना ।
छत्तीसगढ़ी भाखा रोवय, थोकिन संग थिराना ।।
सगा मनन घरोधिया होगे, घर के मन परदेशी ।
पाके आमा निमुवा होगे, निमुवा गुरतुर देशी ।।
अपने घर के नोनी-बाबू, आने भाषा बोलय ।
भूत-प्रेत के छांव लगे कस, पर के धुन मा डोलय ।।
अपन ठेकवा मा लाज लगय, पर के भाये दोना ।
दूध कसेली धरय न कोनो, करिया लागय सोना ।।
सरग म मनखे कबतक रहिही, कभू त आही नीचे ।
मनखे के जर धरती मा हे, लेही ओला खीचे ।।
छत्तीसगढ़ी भाखा रोवय, थोकिन संग थिराना ।।
सगा मनन घरोधिया होगे, घर के मन परदेशी ।
पाके आमा निमुवा होगे, निमुवा गुरतुर देशी ।।
अपने घर के नोनी-बाबू, आने भाषा बोलय ।
भूत-प्रेत के छांव लगे कस, पर के धुन मा डोलय ।।
अपन ठेकवा मा लाज लगय, पर के भाये दोना ।
दूध कसेली धरय न कोनो, करिया लागय सोना ।।
सरग म मनखे कबतक रहिही, कभू त आही नीचे ।
मनखे के जर धरती मा हे, लेही ओला खीचे ।।