इस ग्राम में मानाबंद तालाब के ठीक किनारे एक बहुत है प्राचीन गस्ती का वृक्ष है ।जिस वृक्ष के नीचे 300 वर्षो से लगातार धुप वर्षा और ठंड को झेलते हुए खुले आसमान में आश्चर्य किन्तु सत्य ग्राम के प्रधानदेव जिसे ग्राम देव व ठाकुर देव के नाम से जाना जाता है ।जिसकी पूजा आराधना के बिना किसी भी प्रकार का शुभ कार्य, धार्मिक कार्य का शुभारंभ श्रीगणेश नहीं होता ।
मानाबंद के दक्षिण पार में ठाकुर देव का स्थान है, जो राजा द्वारा स्थापित किया गया था। कई बार चबूतरा का मरम्मत किया गया है, बाद में शासन द्वारा राशि मिलने पर पक्का आसन बनाया गया है, शादी के समय, गौरा के समय ज्योत जवरा के समय, ठाकुर देव में नारियल फोड़कर हुम् धुप देते है व दीपक जलाते हैं। ठाकुर देव गांव का हर प्रकार से रक्षा करते हैं। पुनः स्थापना दिनांक 30/08/2004
अत: सर्व प्रथम पूजा अर्चना वंदना में ''सर्व ग्राम देवेभ्यों नम: ऐसा कहा जाता है । सबसे पहले ग्राम देवता की ही पूजा होती है ।
मानाबंद के दक्षिण पार में ठाकुर देव का स्थान है, जो राजा द्वारा स्थापित किया गया था। कई बार चबूतरा का मरम्मत किया गया है, बाद में शासन द्वारा राशि मिलने पर पक्का आसन बनाया गया है, शादी के समय, गौरा के समय ज्योत जवरा के समय, ठाकुर देव में नारियल फोड़कर हुम् धुप देते है व दीपक जलाते हैं। ठाकुर देव गांव का हर प्रकार से रक्षा करते हैं। पुनः स्थापना दिनांक 30/08/2004
अत: सर्व प्रथम पूजा अर्चना वंदना में ''सर्व ग्राम देवेभ्यों नम: ऐसा कहा जाता है । सबसे पहले ग्राम देवता की ही पूजा होती है ।