15/03/2017 |
बावली का निर्माण -
सन 1600 में राजा के द्वारा एक भव्य अद्वितीय बावली का निर्माण कराया गया था, जो पूरे गढ़ो की एक मात्र बावली थी।
जिसमें अत्यधिक पानी होने के कारण बीजक (लोहे का दरवाजा) लगा दिया गया है, जिससे पानी बंद हो गया है, परंतु यह आज भी अपने स्वरूप में है, जिसमें आज भी पानी उतना ही रहता है। यह ग्राम निस्तार का पूरा साधन था।{1}
मरम्मत- बावली का मरम्मत श्री अमोलक चंद जैन सरपंच के कार्यकाल में कराया गया था।{1}
कथा- कहा जाता है सन 1954 में नवागढ़ में प्रथम बार विराट विष्णुपुराण यज्ञ हुआ था, जो वैशाख के पुरे एक माह में संपन्न हुआ। यज्ञकर्ता कन्हैया प्रसाद मुंगेली वाले थे, चंदा कर सबके सहयोग से यह महायज्ञ संपन्न हुआ, इसमें श्री जगन्नाथ धर बद्रीधर दीवान मुखिया थे।{1} उस दिनों इस प्राचीन बावड़ी का जलाभाव के कारण प्रथम बार खुदार्इ किया गया तथा वहाँ से विशाल पानी की धारा निकली उस मोटी धारा को नाले में गिराया गया । हजारो आदमी इस यज्ञ में इस पवित्र बावड़ी का जल पिते रहे व स्नान करते रहें । इस बावड़ी का जल इतना मीठा है, कि नवागढ़ के प्राचीन लोग इसी ''पाताल गंगा'' के नाम से संबोधित करते थे।{2}
यह प्राचीन धरोहर आज अंतिम सांस ले रही है ।
15/03/2017 |
स्रोत-
{1} ध्रुव जी
{2} चौबे सर