10 February 2017

शमि गणेश मंदिर



गांव नवागढ़ मोर हे, छत्तीसगढ़ म एक ।
नरवरगढ़ के नाव ले, मिले इतिहास देख ।।
मिले इतिहास देख, गोड़वाना के चिन्हा ।
राजा नरवरसाय के, रहिस गढ़ सुघ्घर जुन्हा ।।
जिहांव हवे हर पाँव, देव देवालय के गढ़ ।
गढ़ छत्तीस म एक, हवय गा एक नवागढ़ ।।
 छत्तीसगढ़ हा अपन नाम के संग ‘छत्तीस‘ गढ़ ला समेटे हे । राजतंत्र के समय छत्तीसगढ़ के जीवन दायनी षिवनदी के उत्तर दिषा मा 18 अउ दक्षिण दिषा में 18 गढ़ होत रहिस । उत्तर दिषा के गढ़ मन के राजधानी रतनपुर अउ दक्षिणा दिषा के राजधानी रायपुर रहिस।  षिवनादी के उत्तर दिषा म रतनपुर राजधानी के अंतर्गत एक गढ़ रहिस ‘नरवरगढ़‘ ।  अइसे मान्यता हे के ये नाम ओ समय के तत्कालिक राजा नरवर साय के नाम म पड़े हे । बाद म येही ‘नरवरगढ़‘ हा ‘नवागढ़‘ के नाम ले जाने जाने लगिस । वर्तमान म ये नवागढ़ छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिला मुख्यालय ले उत्तर दिषा में ‘बेमेतरा-मुंगेली‘ राजमार्ग म 25 किमी के दूरी म स्थित हे । नवागढ़ म पहली ‘छै आगर छै कोरी‘ यने कि 126 तालाब होत रहिस फेर अभी अतका कन नई हे तभो ले आज घला गली-गली म तरिया देखे ल मिल जथे । कहे जाथे-
‘‘हमर नवागढ़ के नौ ठन पारा,
जेती देखव जल देवती के धारा ।‘‘
नरवर साय के दो पत्नी रहिस ।  मानाबाई अउ भगना बाई ।  राजा ह अपन पत्नी मन के नाम म तालाब बनवाये हें जउन आज मानाबंद अउ भगना बंद के नाम ले प्रसिद्ध हे । नवागढ़ म बहुत अकन मंदिर हे, जेमा बहुत अकन ह प्राचीन हें । नवागढ़ के उत्ती दिषा म चांदाबन स्थित माँ षक्ति के मंदिर, षंकरनगर म स्वयंभू महादेव के मंदिर, बुड़ती म मां महामाया, माँ षारदा के मंदिर, उत्तर दिषा में भैरव बाबा के मंदिर, जुड़ावनबंद के तीर म लक्ष्मीनारायण के मंदिर, दक्षिण दिषा षंकरजी के मंदिर, मध्यभाग में राममंदिर, लखनी मंदिर, दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर,, ठाकुर देव के मंदिर स्थित हे येही मंदिर मन मा सबले जुन्ना मंदिर ‘गणेष मंदिर‘ हे -
जुन्ना मंदिर मा हवे, गणेशजी के मान ।
संग शमी के पेड़ हे, जेखर अपने शान ।।
जेखर अपने शान, हवन पूजा म जरूरी ।
गणेष देवा संग, शमी मा चढ़े खुरहुरी ।
दुलभ हे संयोग, शमी गणेष के मिलना ।
अइसन ठउरे तीन, कले ‘कल्याणे‘ जुन्ना ।।
नवागढ़ बस्ती के बीचो-बीच, देह के करेजा कस नवागढ़ म गणेष मंदिर विराजित हे, जउन जनआस्था के केन्द्र होय के साथ-साथ ऐतिहासिक अउ पुरातात्विक महत्व के घला हे ।  जनश्रुति के अनुसार नवागढ़ म नरवरसाय के पहिली भोसले राजा मन के राज रहिस । भोसले राज परिवार के ईष्ट देवता गणेषजी ल माने गे हे, येही बात ह अपन आप म प्रमाण कस लगथे के ये मंदिर के निर्माण भोसले राज परिवार द्वारा कराये गे हे । मान्यता हे के ये मंदिर के निर्माण विक्रम संवत 646 म होय हे । 646 के गणेष चतुर्थी के दिन ये मंदिर के तांत्रिक विधि ले प्राण प्रतिश्ठा कराय गे हे । 
ये मंदिर के गर्भगृह ह लगभग 6 फुट व्यास के अउ लगभग 25 फुट ऊंचा हवय । गर्भ गृह म  6 फूट के एके ठन पथरा मा भगवान गणेश के पदमासन मुद्रा उकेरे गे हे । लगभग ढाई फुट आसन म साढे तीन फुट भगवान गणेष के प्रतिमा भव्य दिखत हे । ये प्रतिमा हा नागपुर, केलझर म स्थित सिद्ध विनायक के प्रतिमामन ले भिन्न हे ऊंहा के प्रतिमा मा केवल मुँह के आकृति विषाल रूप म उकेरे गे हे जबकी इहां के प्रतिमा म पूरा देहाकृति उकेरे गे हे । 
ये मंदिर के जीर्णोधर तीन बार होय हे पहिली ईसवी सन 1880 म मंदिर म लगे षिलालेख येही जीर्णोधार ह उल्लेखित हे । दूसर जीर्णोधर सन् 1936 म तीसर जीर्णाधार अभी-अभी 2009-10 म होय हे । ये तीनो जीर्णोधार म केवल परसार म परिवर्तन करे गे जबकि गर्भगृह ह ज्यों के त्यों हे । वर्तमान म ये मंदिर के परसार (प्रसाद) के नवनिर्माण कराये गे हे । ये परसार लगभग 40 गुणा 30 वर्ग फुटके  हे ये परसार के चारो कोनो म चारठन छोटे-छोटे मंदिर बनाय गे हे जउन जुन्ना मंदिर म पहिली ले रहिस फेर ओ प्रतिमा मन के जीर्ण-षिर्ण होय के कारण प्रतिमा घला नवा रख के फेर से प्राणप्रतिष्ठा कराये गे हे । ईषान म बजरंग बली, आग्नेय म राम दरबार एक दूसर के सम्मुख व्यवस्थित हे ।  नैऋत्य म राधकृष्ण अउ वाव्वय म षिवलिंग षिवदरबार के नव निर्माण कराये गे हे । मुख्य मंदिर गणेषजी गर्भगृह अउ प्रतिमा अपन निर्माण काल ले अब तक ज्यों के त्यों हे । गणेषजी पूर्वाभीमुख हें । नवा कलेवर म सजे मंदिर परिसर अउ मुख्य द्वार ह घातेच के सुग्घर लगत हे ।
मंदिर के आघू मा उत्ती मा तब ले अब तक एक ठन शमी के पेड़ हवय, जेखर सेती ऐला ‘श्री शमी गणेश’ के नाम ले जाने जाथे । गांव के बुर्जुग मन बताथें के पहिली दू ठन शमी के पेड़ रहिस । मंदिर  गणेश के मंदिर अउ ओखर तीर शमी के पेड़ के दुर्लभ संयोग हे ।  परसिद धार्मिक पत्रिका ‘कल्याण’ के ‘गणेश विशेषांक’ मा ये बात के उल्लेख हे के अइसन संयोग भारत मा कुछ एक जगह हे जेमा एक नवागढ़ ह आय । मंदिर के उत्तर दिषा म एक ठन  कुआं हे जेखर जगत अष्टकोणीय हे ।  ये अष्टकोणीय कुंआ ह तांत्रिक विधान के कुआं आय ।  मंदिर के दक्षिण भाग म एक ठन मठ हे, मंदिर के उत्ती म मंदिर ले लगभग 50 मीटर के दूरी म चरण-पादुका हे । बुड़ती म एकअउ कुंआ हे ।
श्री शमी गणेशजी आज नवागढ़ के रहईया के संगे संग दूरिहा दूरिहा ले श्रद्धा ले के अवईया जम्मो भगत मन के मन के मुराद ला पूरा करत हे ।
अतका प्राचीन मंदिर होय के बाद भी नवागढ़ के ओ प्रसिद्धी नई हो पाये हे जेखर ये अधिकारी हे । शासन अउ स्थानीय प्रषासन के उपेक्षा के षिकार म ये मंदिर अपन स्वरूप म प्रगट नई हो पावत हे । मंदिर के आघू म पहिली दू ठन शमि पेड़ रहिस जेमा एक पेड़ ल कोनो काट डारे हे । मंदिर के बाचे एक ठन शमि वृक्ष, मठ, चरण पादुका कोन मेर हे खोजे ल लगथे काबर ये मन म मंदिर के तीर-तीर म बसइया मन के कब्जा म हे । मंदिर के धरोहर ल मुक्त कराये बर कोखरो ध्यान नई जावय । मंदिर के देख रेख करईया श्री रामधुन रजक के अनुसार ये मंदिर परिसर के क्षेत्रफल सरकारी रिकार्ड के अनुसार 1840 वर्गफुट हे फेर वर्तमान म अतका कन नई हे । ओइसने ये मंदिर के नाम म 25 एकड़ कृषि भूमि दर्ज हे फेर मंदिर के अधिकार म एको एकड़ जमीन नई हे ।
यदि ये मंदिर ला शासन के संरक्षण प्राप्त हो जय येखर धरोहर मन ल मुक्त कराके मंदिर ल सउप दे जाये त ये पुरातात्विक महत्व के मंदिर ह पूरा विष्व म अपन नाम करे म समर्थ हे ।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
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