जब किसी की पसलियों में,
भूख का चित्र न दिखे, तब समझना
सुधर गया है मेरा देश।
जब लालच के बाजार में,
किसी का ईमान न बिके, तब समझना
सुधर गया है मेरा देश।
जब कूड़े में कोई बच्चा,
कबाड़ की तलाश न करे, तब समझना
सुधर गया है मेरा देश।
जब कोई अपना,
रिश्तों का परिहास न करे, तब समझना
सुधर गया सुधर गया है मेरा देश।
फुटपाथों पर भीख मांगती मुन्नी,
ढूंढने पर भी न मिले, तब समझना
सुधर गया है मेरा देश।
अयोध्या सा परिवार राम जैसा भाई,
घर-घर में मिले, तब समझना
सुधर गया है मेरा देश।।
भूख का चित्र न दिखे, तब समझना
सुधर गया है मेरा देश।
जब लालच के बाजार में,
किसी का ईमान न बिके, तब समझना
सुधर गया है मेरा देश।
जब कूड़े में कोई बच्चा,
कबाड़ की तलाश न करे, तब समझना
सुधर गया है मेरा देश।
जब कोई अपना,
रिश्तों का परिहास न करे, तब समझना
सुधर गया सुधर गया है मेरा देश।
फुटपाथों पर भीख मांगती मुन्नी,
ढूंढने पर भी न मिले, तब समझना
सुधर गया है मेरा देश।
अयोध्या सा परिवार राम जैसा भाई,
घर-घर में मिले, तब समझना
सुधर गया है मेरा देश।।