दिखावे का चन्दन नहीं,
संस्कारों का धूल लगाओ,
उपदेशों का तना नहीं,
कर्मों का मूल लगाओ,
स्व आचरण से सुधारो,
अपनी भावी पीढ़ी,
राष्ट्रहित से बनेगी,
परं वैभव की सीढ़ी,
सर्वधर्म का सुर मिला,
एकता के गीत गाओ,
राम को मंदिर में नहीं,
अपने मन में बसाओ।।
संस्कारों का धूल लगाओ,
उपदेशों का तना नहीं,
कर्मों का मूल लगाओ,
स्व आचरण से सुधारो,
अपनी भावी पीढ़ी,
राष्ट्रहित से बनेगी,
परं वैभव की सीढ़ी,
सर्वधर्म का सुर मिला,
एकता के गीत गाओ,
राम को मंदिर में नहीं,
अपने मन में बसाओ।।