क्या तुमने अपनी बेटी की
विदाई का क्षण देखा है!
क्या तुम क्षत-विक्षत अस्मत के,
प्रमुख रिस्तेदार हो!
क्या तुमने प्रासविक पीड़ा का,
अनुभव समीप से किया है,
तुम्हारे घर की आबरू पर,
कभी कोई विपत्ति आयी!
अगर नहीं!
तो तुम्हें रिश्तों की पीड़ा का,
अनुभव कैसे होगा!!!!
विदाई का क्षण देखा है!
क्या तुम क्षत-विक्षत अस्मत के,
प्रमुख रिस्तेदार हो!
क्या तुमने प्रासविक पीड़ा का,
अनुभव समीप से किया है,
तुम्हारे घर की आबरू पर,
कभी कोई विपत्ति आयी!
अगर नहीं!
तो तुम्हें रिश्तों की पीड़ा का,
अनुभव कैसे होगा!!!!