आजकाल के लइका मन के उमर
बीमारी म पहावत हे,
काबर !
आजकाल के दाई लइका ल
अपन दूधे नई पियावत हे,
अरे! देवता घलो मन,
महतारी के दूध पिये बर,
अपन जीव ल चुरोथे,
काबर!
दाई के दूध म अमृत होथे,
आजकाल के दाई मन ल,
बस अपन फिगर के चिंता हे,
अरे! द्वापर त्रेता के दाई मन,
फिगर के चिंता करतीस,
त भगवान धरती म
कभू नई अवतरतीस,
लोगन कहिथें-
भगवान मन अवतार लेके,
परमार्थ करे बर ललचाय रहिन,
फेर सिरतोन गोठ तो ये हर आय,
ओमन धरती म दाई के दूध पीये आय रहिन।
22 November 2018
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