तुम्हारी कविता जरूर सुनुंगा,
मैं तुम्हारी कविता जरूर सुनुंगा,
पर क्या तुम्हारी कविता में,
नक्सलवाद का हल है!
किसी अबला के लिए संबल है!
भ्रूण हत्या पर रोक है!
निर्लज्जता पर शोक है!
मैं तुम्हारी कविता जरूर सुनुंगा,
पर क्या तुम्हारी कविता,
समसामयिक और ज्वलंत है!
सफलता का सुखद अंत है!
स्वस्थ शिक्षा का आधार है!
शुद्धता का कर्णधार है!
मैं तुम्हारी कविता जरूर सुनुंगा,
पर क्या तुम्हारी कविता में,
सीमा विवाद का उपाय है!
अखंडता का पर्याय है!
व्यापकता का प्रसार है!
ईश्वर का आभार है!
मैं तुम्हारी कविता जरूर सुनुंगा,
पर क्या तुम्हारी कविता में,
भ्रष्टाचार का वध है!
निर्धनता का हद है!
दहेज लोभी व्यथित है!
राष्ट्रभक्ति और जनहित है!
मैं तुम्हारी कविता जरूर सुनुंगा,
पर क्या तुम्हारी कविता में,
माॅं के आॅंसुओं का मोल है!
पिता के मौन में तुम्हारे बोल हैं!
रणभूमि शहीद का श्रृंगार है!
मनुष्य को मनुष्यता स्वीकार है!
यह सब तुम्हारी कविता में है तो,
एक-एक शब्द सहेज कर चुनुंगा,
और तुम्हारी कविता जरूर सुनुंगा।