देश म चारो मुड़ा,
सादा कुरथा के खूंटी हे,
नेता ल देख डारेंव,
तेखर सेती चिरी-बूटी हे।
भ्र्ष्टाचार के घुरूवा,
देश-दलाली के सुरूवा,
अउ गरीबहा मन बर,
आश्वासन के सूँटी हे,
नेता ल देख डारेंव,
तेखर सेती चिरी-बूटी हे।
सरकारी योजना हर,
जनता बर हुद्दा बनगे,
लन्दर-फन्दर गोठ हर,
सँसद के मुद्दा बनगे,
चुहके ऊपर चुहक डरिस,
तभो कतका जुटही हे,
नेता ल देख डारेंव,
तेखर सेती चिरी-बूटी हे।
01 September 2018
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मनोज श्रीवास्तव जी की रचनाएं
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