नता मन आज,
अम्मठ होवत हे,
मया-पिरीत हर,
चिहर के रोवत हे,
लागमानी म,
चेर्रा होगे
पहुनई घलो,
खसर्रा होगे,
चारो मुड़ा अनदेखई के,
कोटना हे,
जिनगी के कपास,
सोज्झे ओटना हे,
हटर-हटर करई म,
कुछुच नई पाय,
अइसनो जिनगी हर,
घलो जिनगी आय!!
23 May 2018
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मनोज श्रीवास्तव जी की रचनाएं
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