अपनी पीढ़ी को एक नया मोड़ दें,
दूसरों की बुराई करना छोड़ दें,
हम न सोचें कि,
कौन क्या कर रहा है!
हम सोचें कि,
हम क्या कर हैं!
समाज को बढ़ाने के लिए,
हमारी क्या भूमिका है!
अपनी पीढ़ी को बढ़ाने,
हमारा अहंकार बिका है!
आज लोग व्यर्थ की बातों में,
ज्यादा ध्यान देते हैं,
साम्प्रदायिक विवादों को,
अधिक मान देते हैं,
इतना ध्यान यदि,
अपनी पीढ़ी की शिक्षा में दें,
आने वाले भावी पीढ़ी के,
संस्कार और दीक्षा में दें,
तो यकीन मानिए,
दुनिया में एक नया,
आगाज होगा,
आज की पीढ़ी के,
सर पर ताज होगा,
तब मानवता में,
कोई छेद नहीं होगा,
तब तुम्हारी पीढ़ी में,
कोई भेद नहीं होगा,
तब तुम्हें भी,
खुद पर नाज होगा,
पर इसके लिए तुम्हें,
खुद को बदलना आज होगा।
15 May 2018
Home »
मनोज श्रीवास्तव जी की रचनाएं
» खुद को बदलना आज होगा