देशद्रोहियों का कई,
मनसूब हो रहा है,
मेरे देश में अंतर्राष्ट्रीय,
षड्यंत्र खूब हो रहा है,
गाँव-नगर-भारत,
बन्द हो रहा है,
अर्थव्यवस्था का वेग,
मन्द हो रहा है,
शीर्ष में ही कोई शत्रु,
मित्र का स्वांग बना रहा है,
जाति-पाति के मुददों से,
विकलांग बना रहा है,
राष्ट्रीय षड्यंत्र के,
और भी किस्से हैं,
गांजा शराब अफीम,
उसी के हिस्से हैं,
छोटी सोंच का बीज,
किसी ने तो बोया है,
फिर भी मेरे देश का युवा,
अभी तक सोया है,
खुद को जाति-धर्म-
भाषा में बाँट रखा है,
अपनी आत्मा को,
टुकड़ों में काट रखा है,
अरे! जागो युवा,
तुम्हें बांटने वाले दुश्मन,
तुम्हारे आस-पास हैं,
तुम्हारी छोटी बुद्धि का,
उन्हें अहसास है,
तू ऐसे ही सोया रहा,
तो तुझे ही टुकड़ों में काट देगा,
मानव समाज को बाँटकर,
देश को बाँट देगा,
सियासत के छलावे समझ,
जाल से निकल ले,
अभी भी वक्त है,
उठ जा सम्हल ले,
सम्प्रदाय नहीं, केवल
मानव का ही बसेरा है,
समाज-राज्य से पहले,
यह भारत देश तेरा है,
बहकावे में आना छोड़
निज स्वार्थ को मार,
खुद को कर न्यौछावर,
अपने देश को सँवार।
23 April 2018
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