धरती में छूटे, यम के दूत,
मानव के वेश में, जिंदा भूत।
खाकी छूरा, खादी तलवार,
सर्वविदित है, दोनों में धार ।
एक काटे जेब, एक काटे देश,
मौन हो साधे, भक्ति का वेश ।
दोनों ही करते, बातें पूरी,
मुह में राम, बगल में छूरी।
खुद ही देखें अपनी बरबादी,
रक्षक अपने, खाकी और खादी।
15 November 2017
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