विद्या का आलय
यह विद्यालय है,
अर्थात विद्या का आलय है,
परंतु आज यहाँ
विद्यार्थी के नयनों में नीर है,
विद्यालय की स्थिति अति गंभीर है,
अध्यापक आकर,
कुर्सी में सिर टेक रहे हैं,
आंखें बंद किये वेतन का,
सपना देख रहे हैं,
बेचारे विद्यार्थी भी क्या करें,
भीतर तो रोष है
बाहर में कहने से डरें,
अध्यापक खुद नहीं जानता,
वह क्या पढ़ाता है,
जो भी हो बस,
ड्यूटी निभा जाता है,
कुछ कहो तो चिल्लाते हैं,
चिल्लाओ तो चपरासी बुलाते हैं,
बेचारे फैसला किस्मत पर,
छोड़ देते हैं,
फैल होने की डिगरी,
धीरता से ले-लेते हैं,
सभी जानते हैं,
आज के कई विद्यालयों में,
ऐसा ही हो रहा है,
फिर भी गलतीकर्ता अपनी,
गलतियों को
बड़ी सफाई से धो रहा है।
अर्थात विद्या का आलय है,
परंतु आज यहाँ
विद्यार्थी के नयनों में नीर है,
विद्यालय की स्थिति अति गंभीर है,
अध्यापक आकर,
कुर्सी में सिर टेक रहे हैं,
आंखें बंद किये वेतन का,
सपना देख रहे हैं,
बेचारे विद्यार्थी भी क्या करें,
भीतर तो रोष है
बाहर में कहने से डरें,
अध्यापक खुद नहीं जानता,
वह क्या पढ़ाता है,
जो भी हो बस,
ड्यूटी निभा जाता है,
कुछ कहो तो चिल्लाते हैं,
चिल्लाओ तो चपरासी बुलाते हैं,
बेचारे फैसला किस्मत पर,
छोड़ देते हैं,
फैल होने की डिगरी,
धीरता से ले-लेते हैं,
सभी जानते हैं,
आज के कई विद्यालयों में,
ऐसा ही हो रहा है,
फिर भी गलतीकर्ता अपनी,
गलतियों को
बड़ी सफाई से धो रहा है।