आकार शिल्पकला शिविर नवागढ़ में रजवार भित्ति कला सिखाने के लिए श्रीमती प्रतिमा डहरवाल जी तथा श्री उदित विक्रम डहरवाल जी का आगमन हुआ है, जो रायपुर के रहने वाले हैं। रजवार भित्ति में जिस कोटी की इनकी कला है, उसी कोटि की इनकी शैक्षणिक योग्यता भी। श्रीमती प्रतिमा बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में BSc और श्री उदित विक्रम डहरवाल जियोलॉजी में MSc हैं, ये कुछ वर्षों तक ONGC में वैज्ञानिक के पद पर भी रह चुके हैं।
टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी ये काफी आगे हैं, प्रतिमा जी के दो ब्लॉग http://rajawartalagaonrudramahashivdarshan.blogspot.in/ और http://myrajawarwallpaintings.blogspot.in/ है तथा उदित जी consumer advising जैसे social services भी करते हैं, वे डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से लोगो की समस्याओं का निःशुल्क समाधान करते हैं।
श्रीमती प्रतिमा डहरवाल को राज्य सरकार की ओर से 'कला श्री अलंकरण' का सम्मान प्राप्त हुआ है। इन्होंने शिल्प सृजन रायपुरमें भी प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया है। ये छ. ग. हस्तकला विकास बोर्ड द्वारा रजिस्टर्ड है तथा बोर्ड द्वारा प्रायोजित त्रैमासिक शिविर में प्रशिक्षण भी दिया है।
जानिए कैसे बनी श्रीमति प्रतिमा रजवाड़ी भित्ति कला की आर्टिस्ट-
श्रीमती प्रतिमा ने आकार शिविर रायपुर 2014 में 10 दिन और 2015 में 15 दिन की ट्रेनिंग ली थी। उसके बाद तो प्रतिमा जी ने रजवार का स्वरूप ही बदल दिया है, पहले सिर्फ दो बाई दो के प्लाई में white background के साथ सिर्फ एक ही रंग का आड़े- तिरछे वाले चेहरे बना दिया करते थे।
श्रीमती प्रतिमा ने आकार शिविर रायपुर 2014 में 10 दिन और 2015 में 15 दिन की ट्रेनिंग ली थी। उसके बाद तो प्रतिमा जी ने रजवार का स्वरूप ही बदल दिया है, पहले सिर्फ दो बाई दो के प्लाई में white background के साथ सिर्फ एक ही रंग का आड़े- तिरछे वाले चेहरे बना दिया करते थे।
अभी बहुत ही सुन्दर चेहरे और पारम्परिक स्वरूप को बरकरार रखते हुए, उसका समायोजन वर्तमान एवं धार्मिक घटनाओं से जोड़ते हुए, नया स्वरूप प्रदान करने की कोशिश की है।
इसमें दो महत्वपूर्ण बातें है-
1. पहले सिर्फ प्राइमर में मिलाकर वेष बना दिया जाता था, जो कि पानी में खराब हो जाता था तथा उसमे स्वतः ही रंग फीका हो जाता था। इन्होंने background सहित सारे रंग pure acrylic के प्रयोग में लाए, जिससे रंग कभी फीका नहीं पड़ता और उसमें कुछ चीजें गिरने से आप आसानी से इसे धो सकते हैं।
2. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गोदना पेंट जिसे सामान्यतः सिर्फ पेंट किया जाता है, इन्होंने उस गोदना पेंट का रजवार चित्र के बॉर्डर में चाक से डिजाईन बनाकर उसपर रजवार मिट्टी से गोदना बनाकर उसे पेंट करते हैं।
2. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गोदना पेंट जिसे सामान्यतः सिर्फ पेंट किया जाता है, इन्होंने उस गोदना पेंट का रजवार चित्र के बॉर्डर में चाक से डिजाईन बनाकर उसपर रजवार मिट्टी से गोदना बनाकर उसे पेंट करते हैं।
रजवार भित्ति चित्र बनाने के लिए आवश्यक सामग्रियां- प्लाई बोर्ड, आधा इंची कील, नारियल के बुछ की पतली रस्सी, लाल या पिली मिट्टी जिसकी इलास्टिसिटी ज्यादा हो, फेविकोल, सैंड पेपर, डिस्टेम्पर, फैब्रिक कलर, चाक अन्य घरेलु सामग्रियां।
रजवार भित्ति चित्र बनाने की प्रक्रिया-
1. पहले प्लाई बोर्ड पर चाक से डिजाईन करते है, फिर इस पर हाफ इंची कील से बुछ की रस्सी लगाते हैं, फिर चाक से बनी आकृतियों पर मिटटी की परत चढ़ाई जाती है।
अगर यह crack हो जाता है, तो फिर से layring की जाती है और चाकू से sharp की जाती है।
2. जब final layer सुख जाती है, तो उसे सैंड पेपर से smooth करके, उस पर डिस्टेम्पर से पेंट कर दिया जाता है।
3. फिर ऐक्रेलिक कलर से पेंट कर आधार बनाया जाता है।
4. इसके बाद ऐक्रेलिक फैब्रिक कलर से अलंकार, आभूषण, गहने व सजावट की जाती है।