मोर ददा के छठ्ठी हे,
नेवता हे झारा-झारा
कथा के साधु बनिया जइसे
मोर बबा बिसरावत गे
आजे-काले करहू कहि-कहि
ददा के छठ्ठी भूलावत गे
सपना बबा ह देखत रहिगे
टूटगे जीनगी के तारा
नवा जमाना के नवा चलन हे
बाबू मोरे मानव
मोर जीनगी ये सपना ल
अपने तुमन जानव
घेरी-घेरी सपना म आके
बबा गोठ करय पिआरा
बबा के सपना मैं ह एक दिन
ददा ले जाके कहेंव
ददा के मुह ल ताकत-ताकत
उत्तर जोहत रहेंव
सन खाये पटुवा म अभरे
चेहरा म बजगे बारा
बड़ सोच-बिचार के ददा
मुच-मुच बड़ हाँसिस
मुड़ डोलावत-डोलवत
बबा के सपना म फासिस
पुरखा के सपना पूरा करव
बेटा मोर दुलारा
छै दिन के छठ्ठी ह जब
होथे महिनो बाद
पचास बसर के लइका होके
देखंव येखर स्वाद
छठ्ठी के काय रखे हे
जब जागव भिनसारा
नेवता हे झारा-झारा
कथा के साधु बनिया जइसे
मोर बबा बिसरावत गे
आजे-काले करहू कहि-कहि
ददा के छठ्ठी भूलावत गे
सपना बबा ह देखत रहिगे
टूटगे जीनगी के तारा
नवा जमाना के नवा चलन हे
बाबू मोरे मानव
मोर जीनगी ये सपना ल
अपने तुमन जानव
घेरी-घेरी सपना म आके
बबा गोठ करय पिआरा
बबा के सपना मैं ह एक दिन
ददा ले जाके कहेंव
ददा के मुह ल ताकत-ताकत
उत्तर जोहत रहेंव
सन खाये पटुवा म अभरे
चेहरा म बजगे बारा
बड़ सोच-बिचार के ददा
मुच-मुच बड़ हाँसिस
मुड़ डोलावत-डोलवत
बबा के सपना म फासिस
पुरखा के सपना पूरा करव
बेटा मोर दुलारा
छै दिन के छठ्ठी ह जब
होथे महिनो बाद
पचास बसर के लइका होके
देखंव येखर स्वाद
छठ्ठी के काय रखे हे
जब जागव भिनसारा