पानी मा जिनगी हवै, बिरथा झन तो जाय।
पानी राख सहेज के, काम जगत के आय।।
काम जगत के आय, हवै सब बर उपयोगी।
अमरित एला जान, रखै तन बनै निरोगी।।
कहै हेम कविराय, बदव जी बने मितानी।
बूँद बूँद अनमोल, हवै जिनगी मा पानी।।
पानी राख सहेज के, काम जगत के आय।।
काम जगत के आय, हवै सब बर उपयोगी।
अमरित एला जान, रखै तन बनै निरोगी।।
कहै हेम कविराय, बदव जी बने मितानी।
बूँद बूँद अनमोल, हवै जिनगी मा पानी।।
-हेमलाल साहू