धरनीधर मालगुजार को कहते थे सरकार ।
दीन दुखी अनाथ के सुनते थे पुकार ।।1।।
दीन दुखी अनाथ के सुनते थे पुकार ।।1।।
एक पहर पूजा करै दूसर पहर दरबार ।
खेती पाती नौकर करै दसरथ रहै रखवार ।।2।।
खेती पाती नौकर करै दसरथ रहै रखवार ।।2।।
बुटुधर के बैठक में लगे रोज दरबार ।
कथा पुराण सुनावै सब से प्रेम व्यवहार ।।3।।
कथा पुराण सुनावै सब से प्रेम व्यवहार ।।3।।
बावनधर लम्बरदार रहे बाकि हिस्सेदार ।
रकबा में चार हजार लगे चार कोटवार ।।4।
रकबा में चार हजार लगे चार कोटवार ।।4।
कथा कीर्तन में मन लगावै खुराना सन्तराम सरदार ।
मोहना भंगू साहेबलाल मिल गावै राग मलार ।।5।।
मोहना भंगू साहेबलाल मिल गावै राग मलार ।।5।।
भदहा देवांगन चांग बजावै माधोसिह ढोलक में हुसियार ।
लक्ष्मीदास के भजन प्रभु दास के नाच, तबला में बिजेन्द्र शिवदत्त सितार ।।6।।
लक्ष्मीदास के भजन प्रभु दास के नाच, तबला में बिजेन्द्र शिवदत्त सितार ।।6।।
हप्ता में दो दिन गुरुवार इतवार ।
आस-पास के लोग सब आते है बाजार ।।7।।
आस-पास के लोग सब आते है बाजार ।।7।।
दीवान गुप्ता दुबे मालवीय भाटिया पारा धन रहे अपार ।
आस पास के गौटिया मिल अच्छे करै बिचार ।।8।।
आस पास के गौटिया मिल अच्छे करै बिचार ।।8।।
अगर किसी को संकट आते करते थे मददगार ।
सज्जनता यह गांव में भाई अच्छे करै व्यवहार ।।9।।
सज्जनता यह गांव में भाई अच्छे करै व्यवहार ।।9।।
डेरहा राम रजक ने भाई करै प्रभु से पुकार ।
बारो मास सबेरे उठकर जाते थे हरिद्वार ।।10।।
बारो मास सबेरे उठकर जाते थे हरिद्वार ।।10।।
साव को समझे नही चोर को पकड़े नही चुगलन की इतवार ।
रामनाथ प्रभु कैसे निबहै अँधा धुंध दरबार ।।11।।
रामनाथ प्रभु कैसे निबहै अँधा धुंध दरबार ।।11।।