श्री गणेश मंदिर - गांव के बीच गोंडवाना राजा ने श्री गणेश मंदिर का निर्माण सन 188 में आरम्भ किया था, जो सन 646 में पूर्ण हुआ, यह शिलालेख में वर्णित है। गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्री गणेश अंक के अनुसार नवागढ़ के श्री गणेश मंदिर का निर्माण श्री तात्या जी विश्वम्भर पन्त मोहरे ने करवाया था।
शमी वृक्ष- मंदिर के सामने अति प्राचीन एक शमी का वृक्ष है, जो दुर्लभ वृक्ष है। जिसकी पत्तिया गणेश जी की पूजा के काम आती है, इसका महत्त्व भारत प्रसिद्ध है। इस दुर्लभ वृक्ष के पत्ते को हवन पूजन के लिए दूर-दूर के लोग आकर ले जाते हैं, साथ ही इसकी शाखाएं भी यज्ञ में विशेष रूप से प्रयोग की जाती है। इनके बिना पूजा-पाठ अधूरा माना गया है। शमी वृक्ष की मान्यता शनि देव के रूप में है।
शमी वृक्ष हमारे नवागढ़ के इतिहास में ऐसा ऐतिहासिक वृक्ष है जिसकी नित्य सूर्योदय के पूर्व पूजा अर्चना करने से शारीरिक, मानसिक कष्ट अतिशीघ्र दूर हो जाते है । मान्यता है कि शमी वृक्ष की परिक्रमा गणेश जी की परिक्रमा के तुल्य है ।
मंदिर में बहुत ही सरल, सौम्य, सिद्ध, आकर्षक, आभायुक्त श्री गणेश जी की मूर्ति आसन में विराजमान है।
जीर्णोध्दार- श्री गणेश मंदिर का जीर्णोद्धार तीन बार हो चुका है, इस मंदिर का प्रथम जीर्णोद्धार सन 1880 में तथा द्वितीय बार सन 1936 में व तीसरी बार 2009-10 में वृहद् रूप से किया गया। मंदिर भी अष्ट कोणीय बना है।इस मंदिर के विषय में गोरखपुर से प्रकाशित धार्मिक पत्रिका ''कल्याण के गणेश अंक में ''मध्यप्रदेश के गणेश स्थान शीर्षक पृष्ठ क्रमांक 438 में उल्लेखित किया गया है।
सभामंडप- सभामंडप में शिव पंचायत, राधा कृष्ण और राम जानकी लखन जी और हनुमान जी का मूर्ति स्थापित की गयी है और जो गणेश जी के आठ प्रसिद्ध मूर्तियां है, उनकी भी चित्र लगाया गया। दिनांक 20/01/2013 को इनका प्राणप्रतिष्ठा किया गया है।
अष्टकोणीय कुआँ- इस मंदिर के दक्षिण भाग में एक अष्टकोणीय प्राचीन कुआँ है।
गणेश मंदिर को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किया गया है।
पुरातात्विक प्रमाण- पहले श्री गणेश मंदिर के सामने श्री हनुमान जी का मंदिर था, जिसे श्री गणेश मंदिर के जीणोद्धार के समय सभामंडप में ले जाने के हेतु तुड़वाया गया। तब वहाँ पर हनुमान जी के मंदिर के नीचे अष्टकोणीय कुण्ड तथा कुण्ड में प्रवेश हेतु सीढ़ी निकली, जिसे अभी बंद कर दिया गया है।