चना होरा कस,
लइकापन लेसागे
पेट भीतर लइका के संचरे
ओखर बर कोठा खोजत हे,
पढ़ई-लिखई के चोचला धर
स्कूल-हास्टल म बोजत हे
देखा-देखी के चलन
दाई-ददा बउरागे
सुत उठ के बड़े बिहनिया
स्कूल मोटर म बइठे
बेरा बुड़ती घर पहुॅचे लइका
भूख-पियास म अइठे
अंग्रेजी चलन के दौरी म
लइका मन मिंजागे
बारो महिना चौबीस घंटा
लइका के पाछू परे हे
खाना-पीना खेल-कूद सब
अंग्रेजी पुस्तक म भरे हे
पीठ म लदका के परे
बछवा ह बइला कहागे
चिरई-चिरगुन, नदिया-नरवा
अउ गाँव के मनखे
लइका केवल फोटू म देखे
सउहे देखे न तनके
अपने गाँव के जनमे लइका
सगा-पहुना कस लागे
साहेब-सुहबा, डॉक्टर-मास्टर
हो जाही मोर लइका
जइसने बड़का नौकरी होही
तइसने रौबदारी के फइका
पुस्तक के किरा बिलबिलावत
देष-राज म समागे
बंद कमरा म बइठे-बइठे साहब
योजना अपने गढ़थे
घाम-पसीना जीयत भर न जाने
पसीना के रंग भरथे
भुईंया के चिखला जाने न जेन
सहेब बन के आगे
लइकापन लेसागे
पेट भीतर लइका के संचरे
ओखर बर कोठा खोजत हे,
पढ़ई-लिखई के चोचला धर
स्कूल-हास्टल म बोजत हे
देखा-देखी के चलन
दाई-ददा बउरागे
सुत उठ के बड़े बिहनिया
स्कूल मोटर म बइठे
बेरा बुड़ती घर पहुॅचे लइका
भूख-पियास म अइठे
अंग्रेजी चलन के दौरी म
लइका मन मिंजागे
बारो महिना चौबीस घंटा
लइका के पाछू परे हे
खाना-पीना खेल-कूद सब
अंग्रेजी पुस्तक म भरे हे
पीठ म लदका के परे
बछवा ह बइला कहागे
चिरई-चिरगुन, नदिया-नरवा
अउ गाँव के मनखे
लइका केवल फोटू म देखे
सउहे देखे न तनके
अपने गाँव के जनमे लइका
सगा-पहुना कस लागे
साहेब-सुहबा, डॉक्टर-मास्टर
हो जाही मोर लइका
जइसने बड़का नौकरी होही
तइसने रौबदारी के फइका
पुस्तक के किरा बिलबिलावत
देष-राज म समागे
बंद कमरा म बइठे-बइठे साहब
योजना अपने गढ़थे
घाम-पसीना जीयत भर न जाने
पसीना के रंग भरथे
भुईंया के चिखला जाने न जेन
सहेब बन के आगे