प्रभु चौबीस लिये अवतार ।। टेक ।।
मच्छ, कच्छ सुकर नरहरि वामन परसराम अवतार ।
राम कृष्ण बौद्ध कलंकी या दसवां अवतार ।।
मच्छ, कच्छ सुकर नरहरि वामन परसराम अवतार ।
राम कृष्ण बौद्ध कलंकी या दसवां अवतार ।।
मनु नारद विष्णु सनकादिक मोहनी रूप कपिल सागर निवास ।
व्यास दस्तात्रेय पृथु हयग्रीघ बद्रीनारायण उत्तराखण्ड निवास ।।
व्यास दस्तात्रेय पृथु हयग्रीघ बद्रीनारायण उत्तराखण्ड निवास ।।
लिया हंस अवतार प्रभु ने धनवंतरी यज्ञ मय लिया अवतार।
रामनाथ ध्रुव हाथ जोड़कर का विनय करत बार- बार ।।
रामनाथ ध्रुव हाथ जोड़कर का विनय करत बार- बार ।।
जगत में नाम रूप दर्शाये ।। टेक ।।
प्रथम रूप मच्छ का संखासुर को मार देव को प्राप्त किये।
दूसरा रूप कच्छ का लीन्हे महिषासुर मार क्षीर सागर 14 रत्न निकाले।।
प्रथम रूप मच्छ का संखासुर को मार देव को प्राप्त किये।
दूसरा रूप कच्छ का लीन्हे महिषासुर मार क्षीर सागर 14 रत्न निकाले।।
तीसरा रूप बराह का हिरण्याक्ष बधकर पृथ्वी को बाहर लाये ।
चौथा रूप नरसिंह का हिरण्यकश्यप को मार प्रहलाद को बचाये ।।
चौथा रूप नरसिंह का हिरण्यकश्यप को मार प्रहलाद को बचाये ।।
पांचवा रूप वामन का बलि को छल कर पृथ्वी को नाप डारे ।
छठवा रूप परसराम का इक्कीस बार क्षत्री विहीन कर डारे ।।
छठवा रूप परसराम का इक्कीस बार क्षत्री विहीन कर डारे ।।
सातवा रूप श्री राम चन्द्र का भूमि का भार उतार रावण मारे ।
आठवा रूप श्री कृष्ण चन्द्र का कंश नाश कर दुष्टों को मार गिराये ।।
आठवा रूप श्री कृष्ण चन्द्र का कंश नाश कर दुष्टों को मार गिराये ।।
नौवां रूप बौद्ध जी का रक्त बीज संघारे ।
दसवां रूप कलंकी होइ है दुष्टों को बध डारेगे ।।
दसवां रूप कलंकी होइ है दुष्टों को बध डारेगे ।।
ग्यारह रूप मनु का है जग विस्तार कराये ।
बारह रूप नारद का भक्ति मार्ग दिन्द्रखाये।।
बारह रूप नारद का भक्ति मार्ग दिन्द्रखाये।।
तेरह रूप विष्णु संतोषी का जग में विवेक बतलाये।
चौदह रूप सनकादिको का बाल रूप विचरण किये ।।
चौदह रूप सनकादिको का बाल रूप विचरण किये ।।
पंद्रह रूप मोहनी का दैत्यो से अमृत छीन ले आये ।
सोलह रूप कपील जी का अपने माता को उपदेश दिये ।।
सोलह रूप कपील जी का अपने माता को उपदेश दिये ।।
सत्रह रूप व्यास का है जो वेद पुरान बखान किये ।
अठारह रूप दस्तात्रेय का जो चौबीस गुरू बनाकर सबको सिखलाये।।
अठारह रूप दस्तात्रेय का जो चौबीस गुरू बनाकर सबको सिखलाये।।
उन्तीस रूप पृथु का पृथ्वी गऊबनाकर दुहकर औषधि निकारे।
बीस रूप हयग्रीव का जो मधुकैटभ को मारे।।
बीस रूप हयग्रीव का जो मधुकैटभ को मारे।।
इक्सीस रूप बद्री नारायण धर्म से तप करने को आये ।
बाइस रूप अवतार हंस का प्रश्नोत्तर देने आये ।।
बाइस रूप अवतार हंस का प्रश्नोत्तर देने आये ।।
तेइस रूप धन्तंतरी का रोगंनाश करने आये।
चौबीस रूप अवतार यज्ञमय यज्ञ कराने आये ।।
चौबीस रूप अवतार यज्ञमय यज्ञ कराने आये ।।
दस धन चौदह मिलकर चौबीस पुरानन गाये ।
विनय है रामनाथ का रूप गुणो को गाये ।।
विनय है रामनाथ का रूप गुणो को गाये ।।