अर्धांगिनी संसार में,
आधा अंग कहलाय।
दुःख, पीड़ा, संताप में,
वर का मन बहलाय।
वर का मन बहलाय,
मान रखे निज घर का,
तिनका-तिनका जोड़,
ख्याल रखे हर मन का।
अर्धांगिनी बिन संसार,
यह जीवन निराधार।।
आधा अंग कहलाय।
दुःख, पीड़ा, संताप में,
वर का मन बहलाय।
वर का मन बहलाय,
मान रखे निज घर का,
तिनका-तिनका जोड़,
ख्याल रखे हर मन का।
अर्धांगिनी बिन संसार,
यह जीवन निराधार।।