भीख मंगाई आज होगे,
हर समाज के दाग।
नान्हे लइका अउ सियान म,
भिखमंगई के राग।
भगवा पहिर के मांगत हे,
ढोंगी साधू-संत।
कोनो भड्डरी बनके मांगय,
कोनो बनके महंत,
भिखमंगई के ट्रस्ट घला हे,
भिखमंगई के हे पंथ।
दान-धरम के भोभरा म,
भिखमंगई के हे राज,
सुग्घर-साबूत मनखे मन हर,
भीख मांगत हे आज।
जम्मो ददा-भाई मन से,
अतके मोर हे गोहार,
भिखमंगई ल बढ़ावा देबो,
त बोहाबो धारे-धार।।
हर समाज के दाग।
नान्हे लइका अउ सियान म,
भिखमंगई के राग।
भगवा पहिर के मांगत हे,
ढोंगी साधू-संत।
कोनो भड्डरी बनके मांगय,
कोनो बनके महंत,
भिखमंगई के ट्रस्ट घला हे,
भिखमंगई के हे पंथ।
दान-धरम के भोभरा म,
भिखमंगई के हे राज,
सुग्घर-साबूत मनखे मन हर,
भीख मांगत हे आज।
जम्मो ददा-भाई मन से,
अतके मोर हे गोहार,
भिखमंगई ल बढ़ावा देबो,
त बोहाबो धारे-धार।।