छत्तीसगढ़ के मनखे होके,
छत्तीसगढ़ी म बोल।
गुरतुर-गुरतुर गोठ के संदूक,
जम्मो झन बर खोल।
छत्तीसगढ़ के लागा ल,
जीते जी तैं छूट।
बिन सेवा के मर जाबे त,
तोर किस्मत जही फ़ूट।
ये महतारी खाय ल देत हे,
रहे ल देवय घर,
अइसन माँ के सेवा करके,
ये भुइयाँ म तर।
छत्तीसगढ़ी सहराबे तैं हर,
भाखा हवय बढ़िया।
भाखा मान बढ़ाही तोरे,
कहाबे छत्तीसगढ़िया।।
छत्तीसगढ़ी म बोल।
गुरतुर-गुरतुर गोठ के संदूक,
जम्मो झन बर खोल।
छत्तीसगढ़ के लागा ल,
जीते जी तैं छूट।
बिन सेवा के मर जाबे त,
तोर किस्मत जही फ़ूट।
ये महतारी खाय ल देत हे,
रहे ल देवय घर,
अइसन माँ के सेवा करके,
ये भुइयाँ म तर।
छत्तीसगढ़ी सहराबे तैं हर,
भाखा हवय बढ़िया।
भाखा मान बढ़ाही तोरे,
कहाबे छत्तीसगढ़िया।।