प्रयास जारी है
कोई अदृश्य शक्ति,
मुझे अर्जुन बनने से रोकती है,
हर अच्छे कार्य पर
बार - बार टोकती है,
माया की कलियुगी मूर्ति भी,
मेरे अभ्यास में बाधा है,
मेरा हर वांछित लक्ष्य,
अधूरा और आधा है,
किंतु प्रयास जारी है,
हर लक्ष्य को पाने का ,
प्रतीप धारा को अनुकूल बनाने का,
मुझे चाहिये बस,
कृष्ण का मार्गदर्षन,
क्या तुम वह कृष्ण बनोगे!
कोई अदृश्य शक्ति,
मुझे अर्जुन बनने से रोकती है,
हर अच्छे कार्य पर
बार - बार टोकती है,
माया की कलियुगी मूर्ति भी,
मेरे अभ्यास में बाधा है,
मेरा हर वांछित लक्ष्य,
अधूरा और आधा है,
किंतु प्रयास जारी है,
हर लक्ष्य को पाने का ,
प्रतीप धारा को अनुकूल बनाने का,
मुझे चाहिये बस,
कृष्ण का मार्गदर्षन,
क्या तुम वह कृष्ण बनोगे!