15 August 2022
मरे के पहिली झन मर
जीते जी सम्मान
13 August 2022
जनहित का पक्षधर
11 August 2022
दुर्घटनाओं को आमंत्रण
12 December 2021
11 April 2021
हेम के चौपाई छंद (कोरोना जागरूकता)
06 April 2020
जैन समाज ने किया राशन वितरण
31 March 2020
घेचौरा ल धरहिच्चे
दिया बरत हे जतका बेर, अंजोर तो करहिच्चे
तेल सिरा जाही तभो ले, बाती दम भर बरहिच्चे
रेस्टीप के जिनगी ए, भागत ले कस के भाग ले,
आखिरी बेर यमराज, तोर घेचौरा ल धरहिच्चे...
27 February 2020
01 August 2019
जलता रावण
हे मनुष्य!
तुम रावण को,
क्या जलाओगे!!
वह तो,
खुद ही जलता है,
तुम्हें दिखाने के लिए,
कि बुराई कितनी भी,
भयानक क्यों न हो,
एक दिन,
जल ही जाती है,
मेरी तरह,
किंतु तू नासमझ!
जहाँ से रावण,
बुराई खत्म करने की,
प्रेरणा देता है,
तू वही से,
सारी बुराइयों को,
दुगुने दुस्साहस से,
पुनः ग्रहण करता है,
कदाचित रावण,
इसीलिए चुपचाप,
जल जाता है,
क्योंकि तूने,
रावण की सीमा भी,
लांघ दी है!!
27 April 2019
धाम कहाँ है
का धाम कहाँ है.....
बता दे कलियुग श्याम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है,
मैं भटकूँ हरदम जोगी सा,
देख हाल मेरा है रोगी सा,
बस आँख से आँसू बहते हैं,
अब लोग तो पागल कहते हैं,
जिसे लेने जग में आया था,
वो पावन सुंदर नाम कहाँ है।
बता दे कलियुग श्याम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है।
रघुकुल की मर्यादा लेकर,
मानव धर्म की शिक्षा देकर,
विश्व विजय कर दिखलाया,
राष्ट्र धरम को सिखलाया,
सिया भी तुमसे पूछ रही है,
बता दे कलियुग राम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है।
सत्य वचन नित रहता था,
हृदय से अमृत बहता था,
परहित करने नत हो जाते,
जनकल्याण में रत हो जाते,
बहुजन हित की पूजा का,
सन्ध्या या वह शाम कहाँ है,
बता दे कलियुग श्याम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है...