वैसी भक्ति नहीं,
वैसा जामा नहीं,
नीति में ही चले,
वैसा सामा नहीं,
कलियुग में द्वापर,
चला आता पर,
ध्यान सबका रखे,
वह सुदामा नहीं
आप ऐसे न थे तो,
अकड़ क्यों लिया,
आपको आपने ही,
जकड़ क्यों लिया,
अभी तो शहर में,
इज़्ज़त थी तुम्हारी,
राजनीति का दामन,
पकड़ क्यों लिया
प्रेम कुटिया मेरी,
कोई अटारी नहीं,
ये है कोमल सा
शैय्या, कटारी नहीं,
होते हम भी अमर,
याद रखते सभी,
मीरा तुम भी नहीं,
मैं मुरारी नहीं
ददा बनाये हे सड़क,
बीचो बीच म रेंग।
गाड़ी मोटर आन दे,
हमरे भर हे नेंग। ।
नेता सोज्झे पीटथे,
राजनीति के ढोल,
बोली भर ले पोठ हे,
भितरी ले हे पोल।