परसा ह डोलत हे,
कोयलिया बोलत हे,
फागुन के सुआ मोरे,
मधुरस ल घोरत हे,
अमुआ ह मउरत हे,
पड़की ह दउड़त हे,
देखव न कइसे संगी,
घुरूवा ह बहुरत हे,
बेंदरा ह हूकत हे,
कूकुर ह भूंकत हे,
संझा के बारे आगी,
गोसइनिन धूंकत हे,
कॅंउवा अउ चियाॅं बोले,
संगी अउ गीयां बोले,
काबर तैं छोड़े मोला,
बइरी ल भुंइया बोले,
मोर संग मितान बदले,
गउकिन ईमान बदले,
जोहत हॅंव रस्ता तोरे,
भोजली ले आन बदले,
गंगा तो मन म हावे,
जमुना तो मन म हावे,
काकर हे बदना संगी,
देवता तो मन म हावे,
तोरो तो डेरा होही,
बारी म केरा होही,
रथिहा पहाही जोही,
उत्ती के बेरा होही।
कोयलिया बोलत हे,
फागुन के सुआ मोरे,
मधुरस ल घोरत हे,
अमुआ ह मउरत हे,
पड़की ह दउड़त हे,
देखव न कइसे संगी,
घुरूवा ह बहुरत हे,
बेंदरा ह हूकत हे,
कूकुर ह भूंकत हे,
संझा के बारे आगी,
गोसइनिन धूंकत हे,
कॅंउवा अउ चियाॅं बोले,
संगी अउ गीयां बोले,
काबर तैं छोड़े मोला,
बइरी ल भुंइया बोले,
मोर संग मितान बदले,
गउकिन ईमान बदले,
जोहत हॅंव रस्ता तोरे,
भोजली ले आन बदले,
गंगा तो मन म हावे,
जमुना तो मन म हावे,
काकर हे बदना संगी,
देवता तो मन म हावे,
तोरो तो डेरा होही,
बारी म केरा होही,
रथिहा पहाही जोही,
उत्ती के बेरा होही।