08 February 2017

छाँव

छ.ग. के छाॅंव देखाथन,
रिंगी - चिंगी गाॅंव देखाथन,
काॅंटा मन ल पाॅंव देखाथन,
बइठे हे सहिनाव देखाथन,
लइका ल बने गोठ सुनाथन,
भुंइया के जम्मो खेल खेलाथन,
अटकन - बटकन - दही - चटाकन,
फुगड़ी, ढेलवा, समारू, फेकन,
बाई - गोसइया संघरा कमाथन,
बासी - चटनी बइठ के खाथन,
बेरा पहौती ददरिया सुनाथन,
रथिहा बोरे फेर हलाथन,
बिहिनिया बेरा खेत म जाथॅंन,
जिनगी के हर गीत ल गाथन।।
चल दइहान म गरूवा ठोके,
छेरछेरा के चाउर झोके,
जोंधरा - लाड़ू खाबो सउघे,
लाड़ू देख के कूकुर भूंके,
चल न दाऊ के पैरा जाबो,
मरार बारी म बिही चोराबो,
बद्दी आही त रोबो - गाबो,
गम्मत आहे जघा पोगराबो,
धुर्रा - माटी खेल के आबो,
दाई के गारी चल न खाबो।
बिसाइन दाई के चैरा साजे,
टिकली - फुंदरी ओमेर आगे,
नोनी - दाई मन सब जुरियागे,
लेलिन  बाला भाव पटागे,
गोमती बोले पानी भरगे,
मंटोरा देखय साग जरगे,
कुंदरू बड़ लट - लट ले फरगे,
कोहड़ा माढे़ - माढे़ फरगे,
मितानिन घर म पंगत परगे,
चल न दाई सगा मन झरगे।
बर के पेड़ अउ छाॅंव बनइया,
अंगना - कुरिया - गाॅंव बनइया,
लइका मन के नावा बनइया,
सबके रद्दा दाॅंव बनइया,
तुंहरे सुंता काम म आही,
छाॅंव म आही घाम म आही,
हर पहरो के नाव म आही,
राम - सीता के गाॅंव म आही।
मोर हिरदय के गोठ तो सुनले,
करत हवंव पोट - पोट तो सुनले,
मन ल झन कर छोट तो सुनले,
लगय नहीं तोला नोट तो सुनले,
अंतस ल कर पोठ तो सुनले,
मोर मया हे रोठ तो सुनले,
मोर मन म नइये चोर ओ गोरी,
मोर मन हे बस तोर ओ गोरी,
दया तो कर तैं थोर ओ गोरी,
मया के मधुरस घोर ओ गोरी,
बांध मया के डोर ओ गोरी,
मर जाहूँ बिन तोर ओ गोरी।
माटी के चल मान बढ़ाबो,
हिरदय के फूल - पान चढ़ाबो,
ये धरती के सेवा बजाबो,
तन से चल अब धन उपजाबो,
सम्मत - सम्मत रास ल पाबो,
खात - कमावत फेर मेछराबो,
नांगर धरबो चल अटियाबो,
खनती कोड़े ल खेत म जाबो,
अपन गाॅंव ल चल सहराबो,
किस्सा भुंइया के चल गोहराबो,
रोज कमाबो रोज के खाबो,
तभे भुंइया के बेटा कहाबो।

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