ममादाई ह रोवय
ममादाई ह रोवय,
आॅंसू म मुह ल धोवय,
लइका ल सुग्घर पोसेंव,
गरीबी ल नई कोसेंव,
काट के छाती भरेंव पेट ल,
बीमारी बर मैं बेचेंव खेत ल,
मन म गुनत हे दाई,
रहि-रहि के जीव चुरोवय,
ममादाई ह रोवय,
सोंचिस बहू घर आही,
महू ल सुख बहुराही,
बेटा के बिहाव कराइस,
बहू ह रंग देखाइस,
बेटा होगे बहू के,
नई रहिगे दाई कहूं के,
रो-रो के आॅंखी फुलोवय,
ममादाई ह रोवय,
नौ महिना के करजा छोड़ेस,
बदनामी के चद्दर ओढ़ेस,
पर से नाता जोरे,
दाई के हिरदय टोरे,
कलियुग के पुतरा बनके,
दाई ल जियत सरोवय,
ममादाई ह रोवय,
पुन के आस सिरागे,
त पाप ल झन कर भारी,
कखरो नइये ठिकाना,
मरना हे संगवारी,
जा दाई के चरन ल धर ले,
जेन हर मलई ल तोर बर करोवय,
ममादाई ह रोवय।
ममादाई ह रोवय,
आॅंसू म मुह ल धोवय,
लइका ल सुग्घर पोसेंव,
गरीबी ल नई कोसेंव,
काट के छाती भरेंव पेट ल,
बीमारी बर मैं बेचेंव खेत ल,
मन म गुनत हे दाई,
रहि-रहि के जीव चुरोवय,
ममादाई ह रोवय,
सोंचिस बहू घर आही,
महू ल सुख बहुराही,
बेटा के बिहाव कराइस,
बहू ह रंग देखाइस,
बेटा होगे बहू के,
नई रहिगे दाई कहूं के,
रो-रो के आॅंखी फुलोवय,
ममादाई ह रोवय,
नौ महिना के करजा छोड़ेस,
बदनामी के चद्दर ओढ़ेस,
पर से नाता जोरे,
दाई के हिरदय टोरे,
कलियुग के पुतरा बनके,
दाई ल जियत सरोवय,
ममादाई ह रोवय,
पुन के आस सिरागे,
त पाप ल झन कर भारी,
कखरो नइये ठिकाना,
मरना हे संगवारी,
जा दाई के चरन ल धर ले,
जेन हर मलई ल तोर बर करोवय,
ममादाई ह रोवय।