बाई ल लाएंव शहर,
घुमाएंव चारो डहर,
मोर बाई रहिस देहाती,
चाकर-चाकर लगइस बिन्दी,
तहाॅं मारिस छत्तीसगढ़िया हिन्दी,
मोला कहिस-तुम हमला,
चारो मुड़ा नई घुमाएगा,
तो हमारा मंता भोगा जाएगा,
मैं कहेंव बाई-घुमाहूं तोला सबो कती,
फेर तैं झन घुमा अपन मती,
अइसने कभू तैं हिन्दी बोलबे त,
संविधान ल खोले ल पर जही,
अउ जम्मो भाषा के प्रोफेसर ल,
छत्तीसगढ़िया हिन्दी बोले ल पर जही।