दिया बरत हे जतका बेर, अंजोर तो करहिच्चे
तेल सिरा जाही तभो ले, बाती दम भर बरहिच्चे
रेस्टीप के जिनगी ए, भागत ले कस के भाग ले,
आखिरी बेर यमराज, तोर घेचौरा ल धरहिच्चे...
31 March 2020
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मनोज श्रीवास्तव जी की रचनाएं
» घेचौरा ल धरहिच्चे
दिया बरत हे जतका बेर, अंजोर तो करहिच्चे
तेल सिरा जाही तभो ले, बाती दम भर बरहिच्चे
रेस्टीप के जिनगी ए, भागत ले कस के भाग ले,
आखिरी बेर यमराज, तोर घेचौरा ल धरहिच्चे...