का धाम कहाँ है.....
बता दे कलियुग श्याम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है,
मैं भटकूँ हरदम जोगी सा,
देख हाल मेरा है रोगी सा,
बस आँख से आँसू बहते हैं,
अब लोग तो पागल कहते हैं,
जिसे लेने जग में आया था,
वो पावन सुंदर नाम कहाँ है।
बता दे कलियुग श्याम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है।
रघुकुल की मर्यादा लेकर,
मानव धर्म की शिक्षा देकर,
विश्व विजय कर दिखलाया,
राष्ट्र धरम को सिखलाया,
सिया भी तुमसे पूछ रही है,
बता दे कलियुग राम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है।
सत्य वचन नित रहता था,
हृदय से अमृत बहता था,
परहित करने नत हो जाते,
जनकल्याण में रत हो जाते,
बहुजन हित की पूजा का,
सन्ध्या या वह शाम कहाँ है,
बता दे कलियुग श्याम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है...