बने-बनाये शब्दों पर
तू क्यों फंदे!
कलम सलामत है तेरी,
तू लिख बंदे,
उम्मीद मत कर कि कोई,
आयेगा तुझे,
तेरे दर पे सिखाने,
इंसां को देख,
तू खुद सीख बंदे,
बुराई लाख चाहे भी,
तुझे फंसाना,
अच्छाई को पूज,
खुद मिट जाएंगे,
विचार गंदे।
05 October 2018
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