घाम म पुलिस छाँव म नेता
पसीना पुलिस के ताव म नेता,
अभाव म पुलिस प्रभाव म नेता,
सेवा म पुलिस गाँव गाँव म नेता,
भीड़ म पुलिस, सिंहासन म नेता,
पुलिस खाय गारी, भासन म नेता
चिचियावत हे पुलिस, पलथियाय हे नेता,
डयूटी म पुलिस, ऊँघाय हे नेता,
सुखावत हे पुलिस, भोगावत हे नेता,
मंगरा के आँसू, देखावत हे नेता,
सुनत हे पुलिस, सुनावत हे नेता,
भितरे-भीतर तिहार, मनावत हे नेता,
आश्वासन के झुलुवा, झुलावत हे नेता,
पुलिस के पीरा, भुलावत हे नेता,
दुब्बर दिखे पुलिस, दोन्द कस हे नेता,
चुनाव बेरा चटकथे, गोंद कस हे नेता,
नेता धन्ना सेठ, पुलिस हवय कंगला,
इंखर छिदका कुरिया, नेता टेकाये बंगला,
पेशी म हे पुलिस, ऐसी म खुसरे नेता,
इंखर बर फोकला, गुदा चुचरे नेता,
कटा जाही एक दिन, तोर स्वार्थ के भीरा,
समझ जा रे नेता, पुलिस के पीरा।
23 December 2017
Home »
मनोज श्रीवास्तव जी की रचनाएं
» घाम म पुलिस छाँव म नेता